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#NiranjanSaar
आँखियाँ गुरु दरसन की प्यासी ।
इकटक लागी पंथ निहारूँ तन सूँ भई उदासी ||
रैन दिना मोहिं चैन नहीं है चिन्ता अधिक सतावै।
तलफत रहूँ कल्पना भारी निस्चल बुधि नहिं आवै ॥
न गयो सूख हूक अति लागी हिरदै पावक बाढ़ी।
खिन में लेटी खिन में बैठी घर अंगना खिन ठाढ़ी ॥
भीतर बाहर संग सहेली बातन ही समझावैं ।
रनदास सुकदेव पियारे नैनन ना दरसावैं॥
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