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#NiranjanSaar
जग में गुरु समान नहिं दाता ॥ टेक ॥
बस्तु अगोचर दइ सतगुरु ने, भली बताई बाटा ।
काम क्रोध कैद करि राखे, लोभ को लीन्हो नाथा ॥
काल्ह करै सो हालहि करि ले, फिर न मिलै यह साथा ॥
चौरासी में जाइ पड़ोगे, भुगतो दिन और राता ॥
सबद पुकार पुकार कहत है, करि ले संतन साथा ॥
सुमिर बंदगी कर साहिब की, काल नवावै माथा ॥
कहै कबीर सुनो हो धर्मन, मानो बचन हमारा ॥
परदा खोलि मिलो सतगुरु से, आवो लोक दयारा ॥
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