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Nirankari Bhajan 2022 | क्यों करते चिंता इतनी | Kyu Karte Chinta Itni | Chinta | Nirankari Song 2022
Song :- Chinta
Singer :- Toshi Kaur
Category :- Sant Nirankari Bhajan
Producer :- Amresh Bahadur , Ramit Mathur
सन्त निरंकारी मिशन कोई प्रचलित धर्म या सम्प्रदाय नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक विचारधारा है। सन्त निरंकारी मिशन निराकार-प्रभु की जानकारी प्राप्त करने के बाद भक्ति करते हुए मर्यादित जीवन जीने की एक पद्धति है।मिशन परमपिता परमात्मा का घट-घट में दर्शन करा कर विश्व-बन्धुत्व की स्थापना कर रहा है। ब्रह्म का ज्ञान प्रदान करने वाली विभूति सद्गुरु है। ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति के बाद जो व्यक्ति निरंकार का कण-कण में दर्शन करके निरंकार के सुमिरण में, सत्य के ज्ञाताओं की संगति और प्राणी मात्र की सेवा में तल्लीन रहता है उसे हम ” निरंकर ” कहते हैं।
निरंकारी मिशन का यह प्रचार सन् 1929 में बाबा बूटासिंह जी ने पेशावर से आरम्भ किया। सन 1943 में मिशन की बागडोर बाबा अवतार सिंह जी ने संभाली। सन 1962में इस सच्चाई की बागडोर बाबा गुरबचन सिंह जी को सौंपी गई। अप्रैल 1980 में बाबा गुरबचन सिंह जी के बलिदान के बाद सद्गुरु बाबा हरदेव सिंह जी महाराज ने इस जिम्मेदारी का निर्वाह किया। मई 2016 से इस दिव्य जिम्मेदारी का निर्वाह सद्गुरु माता सविन्दर हरदेव जी महाराज ने किया। जुलाई 2018 से इस दिव्य जिम्मेदारी का निर्वाह निरंकारी मिशन पूर्व सतगुरु स्वर्गीय बाबा हरदेव सिंह की छोटी बेटी सुदीक्षा जी कर रहे हैं। इनका जन्म 13 अप्रैल 1985को दिल्ली में हुआ था। सुदीक्षा जी तीन बहनों में सबसे छोटी हैं। उन्होंने 2006 में एमिटी यूनिवर्सिटी से मनो चिकित्सा में स्नातक किया था। इसके बाद वह 2010 मिशन के लिए विदेश चली गई और वहीं काम देखने लगे और अब सारा मिशन का निर्वाह कर रहे हैं।
सन्त निरंकारी मिशन इस मान्यता में विश्वास रखता है कि निराकार पारब्रह्म जहाँ सृष्टि के कण-कण में व्याप्त है, वहीं यह सम्पूर्ण दृश्यमान जगत से न्यारा भी है। सम्पूर्ण दृश्यमान सृष्टि माया है जो परिवर्तनशील है। इस पंच-भौतिक सृष्टि के परिवर्तित होने पर भी जो अस्तित्व सदैव स्थायी, स्थिर और एकरस है, वही निराकार पारब्रह्म है। परमात्मा निराकार होते हुए भी अनुभूतिगम्य है, जानने योग्य है। वास्तव में निराकार परमात्मा को जानना ही मानव जीवन का मूल उद्देश्य है।
{सदगुरु} सद्गुरु वस्तुतः निराकार ब्रह्म की सगुण सत्ता है जो एक शरीर के माध्यम से कार्य करती है। सद्गुरु शरीर नहीं बल्कि वह सत्य-ज्ञान है जो उस शरीर के माध्यम से प्रवाहित होता है। सद्गुरु सम्पूर्ण मानवता के लिए अवतरित होता है और ब्रह्मज्ञान द्वारा मानव मात्र का उद्धार करता है।
{भक्ति} मिशन इस सनातन सिद्धान्त में विश्वास रखता है कि पहले भगवान को जानो, मानो तभी भगवान की भक्ति हो पाएगी। परमात्मा को अंग-संग जानने के बाद ही अहं भाव गलेगा, दास भावना जन्मेगी और नम्रता इस जीवन का अंग बन जाएगी। ज्ञान के बाद भक्ति से निराकार प्रभु परमात्मा एवं सद्गुरु के प्रति समर्पण की भावना जीवन में उजागर होगी। प्रचलित कर्मकाण्ड जीवन में सन्तुलन बनाने के साधन मात्र हैं। इन कर्मों का अपना महत्व है |