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आज शास्त्री एन्क्लेव,देहरादून में शैलबाला उनियाल जी के घर पर माँ ज्वाल्पा तीन दिन के लिए विराजमान थी।जिसमे व्यास योगेंद्र रतूड़ी जी भी सम्मिलित हुए व वह अपने पाण्डित्य से तो प्रसिद्ध थे ही परंतु जब उन्होंने ढोल उठाया तो पता चला उनके अंदर ढोल बजाने की भी अद्भुत कला है।पाण्डित्य के साथ साथ ढोल बजाने के इस अद्भुत कला को हम सभी का सलाम।।
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