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Palamu Fort | पलामू किला | Palamu Kila | Part - 1| Palamu | Latehar | Jharkhand
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औरंगजेब के शासन के शुरुआती वर्षो में पलामू का चेरो राजा मेदिनी राय था, जिसने सन् 1658 ईस्वी से 1673 ईस्वी तक शासन किया। मेदिनी राय एक शक्तिशाली और प्रतापी राजा हुआ करते थे जिसने गद्दी पर बैठते ही मुगलों के अधीन रहने से सीधा इंकार कर दिया था। दिनी राय न केवल कर देना बंद कर दिया था साथ में अगल बगल के जितने भी सीमावर्ती मुग़ल प्रदेश को उजाड़ना भी शुरू कर दिया था। अपने पड़ोसियों राजाओं से भी अकसर लड़ाईयां होती रहती थी। उसने नागवंशी राजाओ की नयी राजधानी दोइशा पर हमला किया और लूटा भी और साथ में वहां के एक पत्थर का प्रसिद्ध फाटक भी ले आया।
जो आज नागपुर द्वार के नाम से पलामू के नए किले की सोभा है। मेदिनी राय ने ही पलामू के नए किले का निर्माण पुराने किले के निकट के एक किले पर करवाया था और इसी समय नागपुर फाटक को लगाया गया था। औरंगजेब ने बिहार के सूबेदार पलामू पर आक्रमण कर चेरो राजा से सालाना कर वसूलने का आदेश दिया।
दाउद खां निर्विरोध पलामू में प्रविष्ट हुआ और कोठी के किले और कुंडा के किले पर अपना अधिकार जमा लिया। कुंडा के शासक चुना राय इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था और उसे शाही सनद (अधिपत्र) द्वारा सम्मिलित कर लिया गया। किन्तु उसके धर्म परिवर्तन को चेरो बर्दाश्त नहीं कर पाए और मेदिनी राय के इशारे पर चुनी राय के भाई सुखार राय ने उसकी हत्या कर दी। इसी बीच मेदिनी राय की पेशकश की रकम को ठुकराते हुए दाउद खां ने अपने सेना के साथ चेरो की राजधानी को ओर बढ़ गया।
औरंगजेब के आदेशनुसार दाउद खां ने मेदिनी राय के समक्ष इस्लाम धर्म स्वीकार करने और पेशकश की रकम देने का प्रस्ताव रखा। पलामू के बहादुर राजा मेदिनी राय ने औरंगजेब की इस प्रस्ताव को ठोकर मारते हुए अंतिम क्षण तक युद्ध लड़ने का संकल्प किया। लम्बे और कड़े संघर्ष के बाद चेरो पराजित हुआ, उन्हें जन धन की बहुत क्षति उठानी पड़ी। उनके किलो पर मुगलों का अधिकार हो गया और मेदिनी राय को अनंता सुरगुजा में शरण लेनी पड़ी। परन्तु बाद में वहां के सूबेदार मनकली खां के हटते ही उसने अपने खोये हुए राज्य पर पुन: अधिकार कर लिया।
मेदिनी राय को न्यासी (trustee) राजा कहा गया है, उसने शीघ्र ही पलामू को विपन्न (गरीबी) अवस्था से उबार कर समृद्धि के शिखर तक ले जाने बड़ा योगदान रहा है। ऐसा प्रतीत होता है की उसके अधीन पलामू की सुधरी हुई दशा को ध्यान में रखकर मुगलों ने पलामू को उसके अधीन रहने दिया, आज भी पलामूवासी मेदिनी राय के शासनकाल को चेरो शासन का स्वर्ण युग के रूप में याद करते है। उसने कृषि को को प्रोत्साहित किया और मुगलों के निरंतर आक्रमण से अक्रांत पलामू की दशा को सुधरने का सराहनीय प्रयास किया पलामू अत्यंत समृद्ध हुआ और प्रजा को सुख सुविधा की कोई कमी नहीं होती थी।
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