Poetry On Patriotism || By SUO AWKASH SIR || In EBSB Nagrot Jammu ||

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NCC 2024

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9 ай бұрын

Poetry On Patriotism || By SUO AWKASH SIR || In EBSB Nagrot Jammu ||
इस गीत में एक 8 साल का बेटा दीपावली के त्यौहार पर अपनी माँ से बार-बार प्रश्न करता है की माँ मेरे पिता जी अभी तक क्यों नही आए हैं...उसकी माँ को पता चलता है की उसका पति और उस बच्चे का पिता सीमा पर युद्ध के दौरान शहीद हो गया है....पर वो अपने बेटे से इस बात को नही कह पाती.....आइये पढ़ते हैं ह्रदय को झकझोर देने वाले इस गीत को....
चारो तरफ़ उजाला पर अँधेरी रात थी।
वो जब हुआ शहीद उन दिनों की बात थी॥
आँगन में बैठा बेटा माँ से पूछे बार-बार।
दीपावली पे क्यो ना आए पापा अबकी बार॥
माँ क्यो न तूने आज भी बिंदिया लगाई है ?
हैं दोनों हात खाली न महंदी रचाई है ?
बिछिया भी नही पाँव में बिखरे से बाल हैं।
लगती थी कितनी प्यारी अब ये कैसा हाल है ?
कुम-कुम के बिना सुना सा लगता है श्रृंगार....
दीपावली पे क्यों ना आए पापा.......................॥
बच्चा बहार खेलने जाता है...और लौट कर शिकायत करता है....
किसी के पापा उसको नये कपड़े लायें हैं।
मिठाइयां और साथ में पटाखे लायें हैं।
वो भी तो नये जूते पहन खेलने आया।
पापा-पापा कहके सबने मुझको चिढाया।
अब तो बतादो क्यों है सुना आंगन-घर-द्वार ?
दीपावली पे क्यों ना आए पापा.......................॥
दो दिन हुए हैं तूने कहानी न सुनाई।
हर बार की तरह न तूने खीर बनाई।
आने दो पापा से मैं सारी बात कहूँगा।
तुमसे न बोलूँगा न तुम्हारी मैं सुनूंगा।
ऐसा क्या हुआ के बताने से हैं इनकार
दीपावली पे क्यों ना आए पापा.......................॥
विडंबना देखिये....
पूछ ही रहा था बेटा जिस पिता के लिए ।
जुड़ने लगी थी लकडियाँ उसकी चिता के लिए।
पूछते-पूछते वह हो गया निराश।
जिस वक्त आंगन में आई उसके पिता की लाश।
वो आठ साल का बेटा तब अपनी माँ से कहता है....
मत हो उदास माँ मुझे जवाब मिल गया।
मकसद मिला जीने का ख्वाब मिल गया॥
पापा का जो काम रह गया है अधुरा।
लड़ कर के देश के लिए करूँगा मैं पूरा॥
आशीर्वाद दो माँ काम पूरा हो इस बार।
दीपावली पे क्यों ना आए पापा.......................॥

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