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संविधान के अनुच्छेद 82 में लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं का निर्धारण के लिए सरकार हर दस साल में परिसीमन आयोग का गठन करती है। जिसे भारतीय सीमा आयोग भी कहा जाता है। ये आयोग सीटों की संख्या में तब्दीली नहीं कर सकता। बल्की ये जनगणना के बाद सही आंकड़ों से सीटों की सीमाएं और अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए भी सीटों की संख्या आरक्षित करता है। परिसीमन आयोग की सिफारिशें लोकसभा और विधानसभाओं के सामने पेश की जाती हैं। लेकिन उनमें किसी तरह के संशोधन की अनुमति नहीं होती। क्योंकि इस संबंध में सूचना राष्ट्रपति की ओर से जारी की जाती है। परिसीमन आयोग के फैसलों को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती है। 1952 से शुरू हुआ ये सफर आज भी लगातार जारी है। परिसीमन से जुड़ा ताज़ा मामला जम्मू कश्मीर से जुड़ा हुआ है। पिछले साल अगस्त में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के विशेष प्रावधानों को खत्म कर, राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था। और अब जम्मू कश्मीर और लद्दाख में नए सिरे सीटों का बंटवारा होगा यानी परिसीमन किया जाएगा। इसी के साथ केन्द्र सरकार ने पूर्वोत्तर के चार राज्यों में भी परिसीमन की मंज़ूरी देदी है। विशेष के इस अंक में हम बात करेंगे कि आख़िर क्या है ये परिसीमन, क्यों इसकी ज़रूरत पड़ी, कौन से हैं वो राज्य जिनमें अभी परिसीमन होने जा रहा है। जानेंगे परिसीमन आय़ोग के गठन और कार्य को, इसके साथ ही समझने की कोशिश करेंगे इसके पूरे इतिहास को....
Anchor - Vaibhav Raj Shukla
Producer - Ritu Kumar, Rajeev Kumar
Production - Akash Popli
Reporter - Bharat Singh Diwakar
Graphics - Nirdesh, Girish, Mayank
Video Editor - Vaseem Khan, Ravi Shukla