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सलीम बहर ए फ़ना में उतर गया है तू
खुशी ये है मुझे बर्बाद कर गया है तू
तुझे हवस थी के ख़ुद मीर से ग़ज़ल सुनता
नवा ए लहजा ए ग़ालिब हर एक पल सुनता
पर ऐसा शौक ए समाअत तो एक क़यामत है
तू जानता है क़यामत तो एक क़यामत है
वो बेहया है कि जिसको शराब़ चाहिए है
मुसीब़ आज मुझे ज़हर ए नाब़ चाहिए है
तू ज़ौक ए सहर ए सुख़न का बस एक तमाशा था
कि तेरा आलम ए सक़रात एक ड्रामा था
वो जौन भाई से अपने तेरी मोहब्बत है इश्क़
वो तेरा पास ए अदब और हुस्न ए ख़िदमत है इश्क़
भला वुजूद तो क्या तू अदम से कम निकला
मुझे ये दुख है के तू अपने कम से कम निकला
जो है कमी इन बला का तो क्या वो जौन हूँ मैं
मेरी समझ में नही आ रहा है कौन हूँ मैं
बता कि वो सर ए शब ऐश ए आख़री है कहाँ
वो मेरा बौसा ए रुख़सत तेरी जबीं है कहाँ
सुन एक शेर मगर शेर क्या कहाँ का शेर
के दिल सुना नही सकता फ़ना ए जाँ का शेर
अबस हैं सारे सुख़नवर हर एक सुख़न है अबस
समाअत और सुख़न की हर अंजुमन है अबस
बहोत कमीन बहोत ही ज़लील निकला तू
के कातिल ए दिलो जाँ का वकील निकला तू
तुझे नबूद की ग़ज़लें सुनाने वाला हूँ
मैं तेरे पास बहोत जल्द आने वाला हूँ
सलीम बहर ए फ़ना में उतर गया है तू
खुशी ये है मुझे बर्बाद कर गया है तू
ये नज़्म जौन एलिया ने अपने ख़ास अजीज़ दोस्त सलीम जाफरी से बिछड़ जाने के दुख में उन्ही के लिए कही। सलीम जाफरी सन् 1997 में इस दुनिया को अलविदा कह गए।
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