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सम दोष कैसे रहें | योग से त्रिदोष नाश| योगी बुद्धि प्रकाश |

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Brahmavidya

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Күн бұрын

जय गुरुदेव
आयुर्वेद समग्र चिकित्सा के विश्व के सबसे पुराने रूपों में से एक है और आज भी व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को मिलाकर आयुर्वेद पूरे शरीर की चिकित्सा पर ध्यान केंद्रित करता है और कहता है कि एक व्यक्ति का दोष, एक प्रकार की शारीरिक मनोवृति, उनके व्यक्तित्व और स्वास्थ्य को निर्धारित करता है। यद्यपि आयुर्वेद अंग्रेजी में आयुर्वेद का अनुवाद "जीवन के विज्ञान" के रूप में किया गया है। अगर आप आयुर्वेद में विश्वास रखते हैं या आयुर्वेद में रूचि रखते तो आप निश्चित ही दोष के बारे में थोड़ा बहुत जानते ही होंगे, जिन्हें हम त्रिदोष के नाम से भी जानते हैं, जिसमें वात, पित्त और कफ शामिल है। भले ही हजारों वर्षों से आयुर्वेद त्रिदोष के सिद्धांत पर उपचार प्रदान कर रहा है, लेकिन अभी भी लोगों को इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है।
आयुर्वेद के अनुसार हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है जो कि जल, पृथ्वी, आकाश, अग्नि और वायु है। इन पांच तत्वों को पंच महाभूत के नाम भी जाना जाता है और यही पंच महाभूत (Panch Mahabhoot) हमारे शरीर के सूक्ष्म उर्जा (subtle energy) के स्त्रोत है। धार्मिक दृष्टिकोण में भी इन पंच महाभूतों का काफी महत्व है, क्योंकि हमारे ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति इन्हीं चीजों के मेल से हुई है और इन्हीं के मेल से हमारे शरीर की उत्पत्ति हुई है। यह पांच महाभूत हमारे शरीर में आपस में तालमेल बना कर रहते हैं और शरीर को स्वस्थ बनाए रखते हैं। इन्हीं पंच महाभूतों के मेल से दोषों का जन्म होता है। एक दोष का जन्म दो महाभूतों के मेल से होता है
वाता दोष सबसे प्रमुख दोष माना गया है। इस दोष का निर्माण “वायु और आकाश” तत्व के मेल से होता है। हमारे शरीर के अंदर होने वाली सभी उन सभी गतिविधियों जिसमें गतिशीलता या मूवमेंट होती है वह वाता के कारण होते है। सरल शब्दों में कहा जाए तो जो तत्व शरीर में गति या उत्साह उत्पन्न करे वह ‘वात’ या ‘वायु’ कहलाता है। वाता शरीर में गतियों को होने में सहायता करता है, जैसे रक्त संचार। हमारे शरीर में बहने वाला रक्त वाता के कारण एक स्थान से दुसरे स्थान पर प्रवाहित होता। इतना ही नहीं शरीर में मौजूद सभी धातुएं भी अपना-अपना काम इसी वाता के कारण कर पाते हैं और शरीर के किसी एक अंग का दूसरे अंग के साथ जो संपर्क है वो भी वात के कारण ही संभव है।
त्रिदोष नाशक
त्रिदोष नाशक चूर्ण
त्रिदोष नाशक औषधि
त्रिदोष नाशक दवा
त्रिदोष क्या है
त्रिविध ताप
महात्रिफला घृत
त्रिदोष नाशक
त्रिदोष नाशक चूर्ण
त्रिदोष क्या है
त्रिफला स्वरस
त्रिफला जूस
त्रिफला रस
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