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Voice : Anjali Kadri
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Shri Dhanwantari Stavan with meaning
ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्भिः।
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमम्भोजनेत्रम् ॥
कालाम्भोदोज्ज्वलाङ्गं कटितटविलसच्चारुपीताम्बराढ्यम्।
वन्दे धन्वन्तरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम्॥
अच्युतानन्त गोविंद विष्णो नारायणाsमृत
रोगान्मे नाशयाsशेषानाशु धन्वनतरे हरे ।
आरोग्यं दीर्घमायुष्यं बलं तेजो धियं श्रियं ।
स्वभक्तेभ्योsनुगृह्नन्तं वन्दे धन्वन्तरिं हरिम्॥
धन्वन्तरेरिमं श्र्लोकं भक्त्या नित्यं पठन्ति ये ।
अनारोग्यं न तेषां स्यात् सुखं जीवन्ति ते चिरम्॥
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय धन्वन्तरये
अमृतकलशहस्ताय वज्रजलौकहस्ताय
सर्वामयविनाशनाय त्रैलोक्यनाथाय
श्री विष्णवे नमः॥
ॐ वासुदेवाय विद्महे सुधाहस्ताय धीमहि
तन्नो धन्वन्तरिः प्रचोदयात्॥
Meaning in English, Hindi and Marathi
My reverential Salutations to Lord Dhananvantari
who holds a conch, discuss, leech (a blood sucking parasite) and a pot of ambrosia
in his beautiful arms,
whose crown emits a fine, clear, pleasing glow,
whose eyes are like lotus petals,
whose body is dark like the deep ocean,
who is wearing a yellow robe that shines on his waist.
He playfully destroys diseases like a fire in the forest.
O Lord Dhanvantari the incarnation of Hari who is also
known by the names such as Achyuta, Ananta, Govinda,
Vishnu, Narayana and Amruta.
Kindly destroy at the earliest, the diseases that I am suffering from.
And please bless me with good health, long life, strength, effulgence, intelligence, affluence and let your grace always be on your devotees.
Devotees who recite this shloka regularly, never suffer from bad health. They live long with contentment.
Salutations to Bhagavan, to Vasudeva, to Dhanvantari
to the one who holds a pot of ambrosia in his hands,
to the one who destroys all diseases,
to the Lord of three worlds
who is (none other than) Shri Vishnu.
May we know Vasudeva and meditate on Him.
The one who is holding the pot of ambrosia
may that Dhanvantari awaken us (our consciousness).
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भगवान धन्वन्तरि को मेरा श्रद्धापूर्वक प्रणाम ।
जिनके खूबसूरत चार हाथों में शंख, चक्र, जोंक (खून चूसनेवाला जीव) और अमृत का घट है, जिनका मुकुट एक सूक्ष्म, स्वच्छ, मनोहारी तेज से चमक रहा है,
जिनकी आँखे कमल की पंखुड़ियों के समान हैं,
जिनका शरीर गहरे समुद्र जैसा काला हैं,
जिनके कमर को पिले रंग का सुन्दर वस्त्र सुशोभित करता हैं ।
वह रोगों को जंगल में लगी आग की भाँति सहज ही नष्ट कर देते हैं।
हे हरि के अवतार, भगवान धन्वंतरि
आप अच्युत, अनंत, गोविंद, विष्णु, नारायण और अमृत आदि नामों से जाने जाते हैं।
कृपया जिन रोगों से मैं पीड़ित हूँ उन्हें शीघ्र नष्ट करें,
और कृपया अपने भक्तों को अच्छे स्वास्थ्य, लंबी आयु, बल, तेज, बुद्धि और समृद्धि से आशीर्वादित करें ।
जो भक्त इस श्लोक का सदैव पाठ करते हैं, उन्हें स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएँ नहीं होती।
वे संतुष्टि से लंबे समय तक जीवित रहते हैं।
भगवान वासुदेव को, धन्वन्तरि को नमस्कार है
जिनके हाथ में अमृत-कलश हैं,
जो समस्त रोगों का नाश करते हैं,
जो तीनों लोकों के स्वामी अर्थात श्री विष्णु हैं।
हम वासुदेव को जानें और उनका ध्यान करें।
जिनके हाथ में अमृत का कलश हैं,
वह धन्वन्तरि हमें (हमारी चेतना को) जागृत करें।
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हे धन्वंतरी देवा, आपल्याला आमचा नमस्कार.
त्यांच्या हातात शंख, चक्र, जळू (रक्त शोषून घेणारा जीव) व अमृत-घट आहे.
त्यांचा मुकुट एका सूक्ष्म, स्वच्छ, अतिहृद्य-मनोहारी तेजाने चमकत आहे.
त्यांचे डोळे कमळाच्या पाकळ्यांप्रमाणे आहेत.
त्यांचा वर्ण अथांग समुद्रासारखा काळा आहे.
त्यांच्या कंबरेवर एक पिवळ्या रंगाचे वस्त्र बांधले आहे,
ते रोगांना जंगलात लागलेल्या वणव्याप्रमाणे लीलया नष्ट करतात.
हे श्रीहरि-भगवान धन्वंतरि,
आपण अच्युत, अनंत, गोविंद, विष्णु, नारायण आणि अमृत इत्यादी नावांनी ओळखले जाता.
कृपावंत होऊन ज्या रोगांनी मी त्रासलो आहे त्यांना त्वरित नष्ट करावे
आणि आपल्या भक्तांना उत्तम आरोग्य, दीर्घायुष्य, बल, तेज, बुद्धी आणि समृद्धीचा आशीर्वाद द्यावा.
जे या श्लोकांचे नियमित पठण करतील, त्यांना आरोग्यविषयक कोणत्याही समस्या येणार नाहीत.
ते सुखाने चिरकाल जगतील.
भगवान वासुदेवाला-धन्वंतरीला नमस्कार.
ज्यांच्या हातात अमृत-कलश आहे, जे सर्व रोगांचा नाश करतात,
जे त्रैलोक्याचे स्वामी अर्थात श्री विष्णु आहेत.
आपण श्री वासुदेवांना जाणून घेऊया व त्यांचे ध्यान करूया.
ते धन्वंतरी-ज्यांच्या हातात अमृत-कलश आहे, आमची चेतना जागृत करोत.