सुमित चौहान ने भरी सभा में जातिवादियों को किया शर्मसार, ब्राह्मणवादियों की ऐसी धुलाई नहीं देखी होगी

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Жыл бұрын

सुमित चौहान ने भरी सभा में जातिवादियों को किया शर्मसार, ब्राह्मणवादियों की ऐसी भयंकर धुलाई नहीं देखी होगी। जाति और मीडिया के सवाल पर बहुत बुरी तरह धोया।
वीडियो देखें - • सुमित चौहान ने भरी सभा...
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Пікірлер: 5 700
@sciencemindandsense
@sciencemindandsense Жыл бұрын
किस किस को आज सुमित जी का जज्बा अच्छा लगा ? मुझे तो बहुत ही जबरजस्त लगा !
@sagarbhoj3280
@sagarbhoj3280 Жыл бұрын
Very nice answers by sumeet sir
@aourablue8326
@aourablue8326 Жыл бұрын
सच्ची बाते झूठे दौर में सुनना हमेशा ही अच्छा लगता है😊 । We need more people like him🙏
@ramsaharedoctor3507
@ramsaharedoctor3507 Жыл бұрын
😮
@noname38548
@noname38548 Жыл бұрын
Awesome
@noname38548
@noname38548 Жыл бұрын
Jai bhim namo budhay 🕯️
@dhurpat
@dhurpat Жыл бұрын
समाज मे 15% लोगो के पास देश का 85% संपत्ति है, बाकी इसके उलट है।
@freethinker6504
@freethinker6504 Жыл бұрын
5% logo ke pas 95% sampati hai
@sawanverma413
@sawanverma413 Жыл бұрын
​@Quota matlab Chinese quality Tu chutiya hai
@mackarth2778
@mackarth2778 Жыл бұрын
@Quota matlab Chinese quality to aapko lagta hai ki muh se paida hona Quota hi kahlata hai? Aur usi Quote se ho kya ?
@ShahidRaza1823
@ShahidRaza1823 Жыл бұрын
@Quota matlab Chinese quality kon sa talent...apni gang banakr khud aur apni (ast ke logo ko aage badaana aur $c$t ke logo ko kamyaab hone se rokna unke re$e₹vation ko gali dena....in sabko talent bolte ho....khud mandir me 100% re$ervation le rakha hai..47 se pahle education dusri (ast ko lene nahi dete the...ye aapka talent hai
@MarendraNodi5.6-inch
@MarendraNodi5.6-inch Жыл бұрын
​@@Philospher-ml3lu Abe moorkh AndBhakt, is desh mein mandir tax free hain. Ek phooti kaudi nahi dete mandir wale tax mein sarkar ko. Chahe Vaishno Devi ho ya Tirupati, koi tax nahi deta. Sab ke sab neech Bamano ke kabze mein hai. Itihas gavah hai, Brahmanvaadiyo ne keval aur keval is desh ko barbaad karne mein apna yogdaan diya hai. Apna WhatsAppiya gyaan apne Baman b@@p ko jaake de. Idhar nahi. Aaya bada, mandir ke paiso se desh ka vikas karne wala.😂😂😂
@khilehwarmahilane8488
@khilehwarmahilane8488 11 сағат бұрын
सुमित जी जयभीम आप बिल्कुल सही रास्ता दलित सोशित समाज को दिखा रहे है
@madanlalrathore2039
@madanlalrathore2039 2 күн бұрын
बहुत ही बेबाकी से आपने सभी मुद्दों पर चर्चा की।बहुत बहुत आभार।
@karanchand7117
@karanchand7117 Жыл бұрын
दिल❤ से सैल्यूट खुश कर दिया जय भीम जय श्री कांशीराम जी🙏
@jagpritkumar9930
@jagpritkumar9930 Жыл бұрын
Right
@karanchand7117
@karanchand7117 Жыл бұрын
सुमित चौहान जी की आवाज में अंदर से फीलिंग रूह को छूने का काम करती है इसलिए दिल से जय भीम जय श्री कांशीराम जी🙏ओर जसप्रीत कुमार जी आप जी अच्छा लगा धन्यवाद जय भीम नमो बुद्धाय
@factohardik7152
@factohardik7152 Жыл бұрын
Sumit sir 🙏 ji लय भारी संभाषण करून सांगितलं jay bhim jay savidhan
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय Karanchandji नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
@ramlalkumar9540
@ramlalkumar9540 Жыл бұрын
Sumit sir ke chanel ka subscriber badhane me aap log apna apna sahyog de
@vikramgalchar9209
@vikramgalchar9209 Жыл бұрын
सुमित भाई आपकी समाज में बहुत ज्यादा जरूरत है आप आगे बढ़ो हम आपके साथ जय भीम
@sonusinghh8241
@sonusinghh8241 Жыл бұрын
सुमित भाई आपकी समाज में बहुत ज़्यादा ज़रूरत हैं आप लोगों को आगे बढ़ाने के लिए धन्यवाद ऐसे आप आगे बढ़ो हम आपके साथ है जय भीम जय भारत जय मूलनिवासी जागो बहुजन जागो
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
@ramlalkumar9540
@ramlalkumar9540 Жыл бұрын
Sumit sir ke chanel ka subscriber badhane me aap log apna apna sahyog de
@Shishram-ny5ol
@Shishram-ny5ol 2 күн бұрын
बहुत ही अच्छी जानकारी धन्यवाद।
@RamKumar-xf6vs
@RamKumar-xf6vs 2 ай бұрын
सुमित चौहान आप को कोटि कोटि नमन आपको बार बार सलाम जयभीम जय संविधान जय भारत नमो बुद्धाय धन्यवाद साथीयों
@vividlearner7427
@vividlearner7427 Ай бұрын
Pehle baat to yeh Chauhan naam lagake kyu ghum raha h?
@IIT987
@IIT987 Ай бұрын
​@@vividlearner7427nikal
@114girl
@114girl Жыл бұрын
जय भीम नमो बुद्धाय जय मूलनिवासी ब्राह्मण विदेशी
@AmitYadav-fy8ks
@AmitYadav-fy8ks 10 ай бұрын
अब मुझे पूरा यकीन हो गया है कि आप लोग देश को डूबने नहीं देंगे सुमित सर को दिल से सलाम
@Kajal-ip8lp
@Kajal-ip8lp 8 ай бұрын
Sumit Chauhan ki baat ho bhi hota wo sahi hota wo jatiwadi dekh ke nahi bolte sb really hi bolte
@Taarunnn
@Taarunnn 6 ай бұрын
​@@Kajal-ip8lpKeep it faith.
@shivendrakumar7739
@shivendrakumar7739 6 ай бұрын
Sc st obc ke purvaj ek hai aur hame mil kar apne adhikar ki ladai milkar ladni chahiye kyonki sadiyo se humara adhikar chheena gaya hai
@prakashlohiya1161
@prakashlohiya1161 2 ай бұрын
Absolutely right sir
@SANJAYTIWARI-kl8fl
@SANJAYTIWARI-kl8fl 2 ай бұрын
यह घिनौनी घटना केरल राज्य की थी अंग्रेज और इसी राजाओं की मिली भगत से यह कुकर तक किया गया पूरे देश में स्त्रियों का बहुत ज्यादा सम्मान था है और रहेगा सुमित भाई आप गलत जानकारी दे रहे हैं पूरे देश से जोड़कर इसे नहीं देखा जा सकता
@PankajBarshagade
@PankajBarshagade Ай бұрын
मै एक दलित हू, और एक दलित का जातीगत दर्द मै स्वयम समज सकता हू, नाकी कोई और, सुमित सर ने बाहुत अच्छी तरीकेसे प्रोसेस किया है.
@duniyapatsingh7320
@duniyapatsingh7320 Ай бұрын
सुमित चौहान का पत्रकार का नंबर एक
@ramanand3367
@ramanand3367 Жыл бұрын
सुमित जी आप दलित वर्ग के सही तथ्य को सबके सामने रखे तथा विश्लेषण सहित समझाया ।जय भीम, जय संविधान, जय भारत।
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय Ramanandji नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
@monumeshram8578
@monumeshram8578 11 ай бұрын
जयभीम सुमीतजी👍
@budhprakash9200
@budhprakash9200 2 күн бұрын
विश्व विद्वान मित्रो! जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है । जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है। लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं। दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए । स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है । जबकि वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है। चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) । चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) । सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।। यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण। बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
@kingofbhilr.b.6409
@kingofbhilr.b.6409 Жыл бұрын
लाख लाख 🙏जोहार साहब बहुत अच्छा लगा। सर ऐसे समाज सुधर में सुधार होगा ❤️❤️❤️ जय आदिवासी 🙏🙏
@narayankosare775
@narayankosare775 Жыл бұрын
मुझे गर्व है सुमित सर आप की पत्रकारों पर जय संविधान जय छत्तीसगढ़
@rationalmarathi4027
@rationalmarathi4027 6 ай бұрын
बहुत बढियाँ धुलाई करते है सर आप इन ब्राह्मणवादियो की ! 👌👍🙏
@SANJAYTIWARI-kl8fl
@SANJAYTIWARI-kl8fl 2 ай бұрын
यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना केरल राज्य की है इसे पूरे भारत से जोड़कर नहीं देखा जा सकता इसे सुमित भाई पूरे भारत के ऊपर ठोकने का घिनौना प्रयास आप मत कीजिए
@princethakur3723
@princethakur3723 3 ай бұрын
जब मैने विकाश दिव्यकृति सर से सुना की हमारे अपर कास्ट लोग पिछडी महिलाओ से स्तन ढकने पर कर वसूलते थे एवं पिछड़े समाज के पुरुषो तथा महिलाओ को शिक्षा का अधिकार नही था। तब मुझे लगा विकाश सर झूठ बोल रहे है। पर जब सर्च किया तो पाया की ये सारी बाते सच है। तबसे मुझे इस सवर्ण शूद्र वाले ऊंच नीच विचारधारा के नीच धर्म से घृणा हो गयी है। जातिवाद पर टिका ये धर्म मानव मानव मे भेद करना सिखाता है। हमारे अपने हि लोगो कमजोर पिछड़े मासूम लोगो पर अत्याचार किये। इससे शर्म की बात और क्या होगी।
@AbhishekKumar-zc6ij
@AbhishekKumar-zc6ij 2 ай бұрын
thanks bhai for supporting rights
@SANJAYTIWARI-kl8fl
@SANJAYTIWARI-kl8fl 2 ай бұрын
विकास दिव्यकीर्ति ने आपको अधूरी जानकारी दी है यह मामला केरल का था इसका पूरे देश से कोई लेना देना नहीं पूरे देश में हमारे स्त्रियों का उसे समय भी बहुत सम्मान था और आज भी बहुत सम्मान है
@SANJAYTIWARI-kl8fl
@SANJAYTIWARI-kl8fl 2 ай бұрын
विकास दिव्यकीर्ति और सुमित दोनों पूर्वाग्रह से ग्रसित है यह केरल की घटना है पूरे देश से जोड़कर देखना इसे न्याय संगत नहीं है यह घिनौना कृति था लेकिन उसे समय हमारे देश के अन्य भागों में स्त्री का अत्यधिक सम्मान और प्रतिष्ठा थी यह भी बताइए
@SANJAYTIWARI-kl8fl
@SANJAYTIWARI-kl8fl 2 ай бұрын
विकास दिव्यकीर्ति अपने इंस्टिट्यूट में भीड़ बढ़ने के लिए यह जानकारी दे रहे हैं केरल की यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी मगर पूरे देश में इसको जोड़कर नहीं देखा जा सकता पूरे देश में स्त्रियों का सम्मान था वह यह क्यों नहीं बता रहे ना जाने क्यों छुपा रहे हैं
@SANJAYTIWARI-kl8fl
@SANJAYTIWARI-kl8fl 2 ай бұрын
केरल की घटना को पूरे देश से जोड़कर नहीं देखा जा सकता हमारा देश उसे समय गुलामी की जंजीरों में झगड़ा हुआ था किंतु देश के दूसरे अन्य हिस्सों में स्त्रियों का बहुत अधिक सम्मान था विकास दिव्यकीर्ति सुमित चौहान स्थिति को क्यों बच्चों से छुपा रहे हैं
@strugglelife9304
@strugglelife9304 Жыл бұрын
अगर देश में जातिवाद ना होता तो आज सुमित chauhan देश के सबसे बड़े पत्र कार होते 👍👍👍👍👌
@Stutatsvideo
@Stutatsvideo 11 ай бұрын
Your right bro 👌
@mkraj151du
@mkraj151du 10 ай бұрын
ब्राह्मण आज इंग्लैंड का पीएम,, कई नामी कंपनी GOOGLE, PEPSI, INFOSYS,,,NASA, इसरो में SCIENTIST है उनकी होड़ तुम्हारी 100पीढ़ी भी नहीं कर सकती है,,, तुम केवल घृह्णा और वैमनस्य के बीज बो सकते हो,,,, अरे वास्तव मे दलितों का विकास चाहते हों तो दलितों को आर्थिक सक्षम बनाओ उनके मन में जहर मत घोलो
@Surya-hk3pu
@Surya-hk3pu 10 ай бұрын
Agar jati waad nahi hota toh baman sabse bade hote??😜
@strugglelife9304
@strugglelife9304 10 ай бұрын
@@Surya-hk3pu अभी भी 90% baman reporter aur dekh lo press index Indian midia kis number per Hai
@strugglelife9304
@strugglelife9304 10 ай бұрын
@@Surya-hk3pu jab ब्राम्हण bade थे tabhi भारत gulam hua 😂😂
@palwindersingh2210
@palwindersingh2210 Жыл бұрын
100% Truth Excellent Speech Sir ji 👌👌👍👍❤️
@jagpritkumar9930
@jagpritkumar9930 Жыл бұрын
Right
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय Palwindersinghji नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
@ramlalkumar9540
@ramlalkumar9540 Жыл бұрын
Sumit sir ke chanel ka subscriber badhane me aap log apna apna sahyog de
@rajendrachoudhary1015
@rajendrachoudhary1015 Жыл бұрын
Sumit ji 100 present sahi
@manjeetpaswan4261
@manjeetpaswan4261 5 ай бұрын
असली पत्रकारिता की पहेचान सही बातों को जागरूक करना सुमित भाई की पत्रकारिता और जज्बे को दिल से शुक्रिया 🙏🙏
@sukhwantsinghrandhawa7562
@sukhwantsinghrandhawa7562 4 ай бұрын
Sumit chouhan 🙏🙏🙏🙏
@SANJAYTIWARI-kl8fl
@SANJAYTIWARI-kl8fl 2 ай бұрын
सुमित भाई ने यह गलत जानकारी दी है यह केरल राज्य का मामला था पूरे देश पर ऐसे नहीं थोपा जा सकता उसे समय हमारे देश में कई रानियां जौहर अंग्रेजों के खिलाफ और मुगलों के खिलाफ कर रही थी उसके विषय में यह नहीं बता रहा है
@puransinghthakur7464
@puransinghthakur7464 3 ай бұрын
।।जय भीम जय संविधान ।।सुमित चौहान जी का तहेदिल समर्थन करता हूं ।।
@ameishkant6899
@ameishkant6899 Жыл бұрын
🔥🔥🔥 सवर्णों की लंका में आग लगा दिए सुमित भाई जी आपने.... दिल से जय भीम✊
@snram5251
@snram5251 Жыл бұрын
बहुत सुन्दर jabab दिया दिल से सलाम सुमित भाई।
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
@ramlalkumar9540
@ramlalkumar9540 Жыл бұрын
Sumit sir ke chanel ka subscriber badhane me aap log apna apna sahyog de
@sumanratnakar18
@sumanratnakar18 Жыл бұрын
आपकी बात से सहमत हूं मजा आ गया जय भीम
@BhanuPratap-nx8ty
@BhanuPratap-nx8ty 11 ай бұрын
इस तरह से बोलना गलत है ऐसा उनोहने नही बोला सुमित जी ak achche patrakar hai कृपया अपनी नफरत का शिखर उन्हे न बनाया जाए 🙏🏻🙏🏻
@harshitagarwal7093
@harshitagarwal7093 Жыл бұрын
जब कोई मुस्लिम हिन्दू धर्म का अपमान करता है तब मुझे बहुत गुस्सा आता है पर जब सुमित जी और हरिजन वर्ग के लोग उनके हक के लिए हिन्दू धर्म की कमियों को सामने लाते है तब में भी उनका समर्थन करता हु
@SurendraSingh-nd5jg
@SurendraSingh-nd5jg Жыл бұрын
बहुत बहुत साधुवाद कयोंकि आप बहुत साफ साफ बता रहे हैं
@ashoknigam2615
@ashoknigam2615 Жыл бұрын
ये हरिजन कौन है? तुम हरिजन नहीं हो?
@shaikhzameer9744
@shaikhzameer9744 Жыл бұрын
Tum dogle ho
@eyenext3733
@eyenext3733 Жыл бұрын
देर से भला दुरुस्त समझ में आया सर जी आपको धन्यवाद
@sunnybaba854
@sunnybaba854 Жыл бұрын
Ye harijan ko ban kiya hua h.... Harijan ek gali h
@Udmiram123
@Udmiram123 2 ай бұрын
सुमित जी आईना लेके बैठे हैं।चैहरा इनको दिखा रहे हैं।
@kamaldeep3492
@kamaldeep3492 9 сағат бұрын
Jay Bheem Jay sanvidhan सुमित भाई जिंदाबाद
@AnilKumar-ic7xe
@AnilKumar-ic7xe Жыл бұрын
बाबा साहब अम्बेडकर आज भी विश्व के सबसे बड़े विद्वान हैं उनकी बराबरी आज भी कोई नही कर सकता
@NirajKumar-xl5yb
@NirajKumar-xl5yb 9 ай бұрын
कोई बराबरी कर भी नही पाएगा ।जय भीम।
@vilasm9765
@vilasm9765 3 ай бұрын
Beshak...
@quickfacts661
@quickfacts661 2 ай бұрын
60 deso ke savidhan ko compy karne valo ko budhiman tum jaise log hi kh sakte h
@mohindersingh9742
@mohindersingh9742 Жыл бұрын
वास्तव में दिल खुश कर दिया सुमित जी, जय भीम नमो बुद्धाय
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय Mohindersinghji नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
@rajaramraeandji5273
@rajaramraeandji5273 2 ай бұрын
सुमित सर जी आपने अपनी विचारधारा बहुत ही अच्छे
@ramvilasprajapati258
@ramvilasprajapati258 2 сағат бұрын
फूल एनर्जी के साथ सुमित भाई❤😮❤जय❤भीम
@laljirao4605
@laljirao4605 Жыл бұрын
सुमित चौहान जी! आप द्वारा निर्भीक-बेबाक तथा सम्यक विवेचना और सम्यक दृष्टि के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद! नमो बुद्धाय ! जय भीम!! जय भारत!!! जय संविधान!!!!
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय Laljiraoji नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
@Rkpostclip24
@Rkpostclip24 Жыл бұрын
Good job
@budhprakash9200
@budhprakash9200 2 күн бұрын
विश्व विद्वान मित्रो! जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है । जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है। लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं। दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए । स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है । जबकि वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है। चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) । चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) । सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।। यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण। बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
@PankajKumar-bf8gc
@PankajKumar-bf8gc Жыл бұрын
बहुत ही शानदार स्पीच सुमित सर आपको दिल से सैल्यूट जय भीम 🐘🐘🐘🐘🐘🐘🐘🐘
@bhajuramyadav-gs6vv
@bhajuramyadav-gs6vv 6 ай бұрын
सुमित जी आप के जज्बे एवं हौसले को 🙏 कटु सत्य प्रस्तुति। जय भीम जय संविधान
@bhrigunprasad1468
@bhrigunprasad1468 4 ай бұрын
शानदार स्पीच श्री सुमित चौहान जी। दिल से आपको नमन और मंगल कामना है। जयभीम,नामोबुद्धाय,जय संविधान।
@user-vv1qb4ci2k
@user-vv1qb4ci2k Жыл бұрын
मुझे गर्व है #सुमित सर आप पर, जय भीम नमो बुढ़ाए
@bablusingh.3494
@bablusingh.3494 10 ай бұрын
Likhna to sikh la pehla 😂
@mansikumari7436
@mansikumari7436 Жыл бұрын
सुमित चौधरी हम आपके शुक्र गुजार है कि आप सच्चे देशभक्त है सच्चे इंसान हैं आपकी जितनी भी प्रशंसा हम करें उतनी ही कम है जय भीम जय भारत
@sakyasinh8025
@sakyasinh8025 Жыл бұрын
सुमित चौहान
@RajendraKumar-ge3jt
@RajendraKumar-ge3jt 4 ай бұрын
बहुजनों की आवाज उठाने वाले भाई सुमित चोहान जी की निष्पक्ष, निर्भीक पत्रकारिता के लिए साधुवाद।
@jpjpchauhan8307
@jpjpchauhan8307 6 ай бұрын
सुमित जी की सारी बाते मानवता से ओत प्रोत है। जय भारत जय संविधान जय भीम
@vikramgupta1441
@vikramgupta1441 Жыл бұрын
Power of education❤❤❤
@amiteshkothle7303
@amiteshkothle7303 11 ай бұрын
Education person knows reality of life😊😊😊
@kishanlal7290
@kishanlal7290 Жыл бұрын
जय भीम जय भीम जय मूलनिवासी जय संविधान। भाई सुमित जी को बारम्बार नमस्कार
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय Kishanlalji नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
@budhprakash9200
@budhprakash9200 2 күн бұрын
विश्व विद्वान मित्रो! जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है । जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है। लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं। दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए । स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है । जबकि वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है। चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) । चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) । सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।। यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण। बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
@gyanchand7993
@gyanchand7993 6 ай бұрын
सुमित चौहान आप बहुत महान कार्य कर रहे हो आपको बहुत बहुत धन्यवाद
@AnilKumar-yt6hr
@AnilKumar-yt6hr 2 ай бұрын
सुमित सर जी आपको दिल से प्राणाम💙💙🙏🙏🙏🙏🙏
@114girl
@114girl Жыл бұрын
जय भीम नमो बुद्धाय जय मूलनिवासी ब्राह्मण विदेशी ़
@YogendraKumar-mr8ye
@YogendraKumar-mr8ye Жыл бұрын
सुमित चौहान जी शाबाश। जय भीम, जय संविधान
@lalloosingh3594
@lalloosingh3594 6 ай бұрын
सुमित चौहान जी जय भीम आपकी सोच और कार्य को नमन
@kalpanagaimukhe7139
@kalpanagaimukhe7139 5 ай бұрын
जिस्की कहाणी उस्नेही बयाण कि तो उसमे सत्यता ज्यादा होती हि ;ना हि मनगडंन होती हे. सुमित सर आपके पत्रकारिताको सहे दिल शे सलाम करती हु.
@shriram2887
@shriram2887 Жыл бұрын
हमें गर्व है कि चारों तरफ बिकाऊ मीडिया के बाद भी, सुमित जी जैसे भारत मां के सच्चे सपूत, सच्चे पत्रकार ताल ठोंककर देश के गद्दारों को चुनौती दे रहे हैं।🙏 आपको सेल्यूट 🙏
@sumitsingyadav8558
@sumitsingyadav8558 Жыл бұрын
Ye bhi bika ho sakta hai ky pata ,
@Stutatsvideo
@Stutatsvideo 11 ай бұрын
Your sprout Samit Chohan god bless you
@raviamin3643
@raviamin3643 6 ай бұрын
​@@sumitsingyadav8558nhi bik sakta manuvadi thodi hai
@sumitsingyadav8558
@sumitsingyadav8558 5 ай бұрын
@@raviamin3643 manuvadi to kabhi nhi bike per tum tumhare neta dharm desh ke sath gaddari ki convert huye tum per koi bharosa nhi karega ,😜🤪😂😅
@raviamin3643
@raviamin3643 5 ай бұрын
@@sumitsingyadav8558 ham nhi bike 🚲 vale bik gye
@jitendrajunior2654
@jitendrajunior2654 Жыл бұрын
ऐसे ही जांबाजों भीम सिपाहियों की आज मुल्क को जरूरत है मुझे आप पर बहुत गर्व है साहब दिल से जय भीम ।
@navritanetam-gr3jb
@navritanetam-gr3jb Ай бұрын
दिल से नमन सर आपका🙏🙏🙏🙏
@kishanzaveri9970
@kishanzaveri9970 2 ай бұрын
सुमीतजी आपकों शतशत नमन। निर्भय हो, हमेशा रहना। धन्यवाद 🌹🙏🌹
@mahendrashahu4594
@mahendrashahu4594 Жыл бұрын
नमो बुद्धाय जय भीम जय संविधान जय मूलनिवासी बहुजन समाज नायकों।
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय Mahendrashahuji नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
@ajkumar-gp7xn
@ajkumar-gp7xn Жыл бұрын
बहुत-बहुत सुन्दर स्पीच सुमित सर बहुजन समाज के लोगों को समझने की जरूरत है जय भीम जय भारत
@abhishekrai1316
@abhishekrai1316 6 ай бұрын
सुमित भाई आभार साधुवाद आपको जयभीम i am not हिंदू बुद्धिस्ट।☸️
@shivkujur9789
@shivkujur9789 2 ай бұрын
जय जय भीम आपके विचार को सैल्यूट एकदम सही सही ट्वीट है
@budhprakash9200
@budhprakash9200 2 күн бұрын
विश्व विद्वान मित्रो! जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है । जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है। लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं। दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए । स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है । जबकि वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है। चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) । चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) । सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।। यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण। बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
@ranjaykumar-fv3ik
@ranjaykumar-fv3ik Жыл бұрын
दिल से सैल्यूट टू यू सुमीत सर आपके इस योगदान को समाज हमेशा कर्जदार रहेगा जय भीम जय भारत जय संविधान
@budhprakash9200
@budhprakash9200 2 күн бұрын
विश्व विद्वान मित्रो! जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है । जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है। लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं। दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए । स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है । जबकि वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है। चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) । चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) । सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।। यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण। बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
@narayansinghbauddh9850
@narayansinghbauddh9850 Жыл бұрын
सुमित भाई को हमारा बार बार सलाम है आपने भाई बहुत अच्छा वाख्यान किया है मनुवाद के खिलाफ, आपसे बहुजनो को बहुत आस है आप ही उम्मीद हो मे देखता हूँ मुझे आप जैसा जनलिस्ट मुझे पूरे बहुजन समाज मे नही दिखता 👍jai bhim namo buddhay
@budhprakash9200
@budhprakash9200 2 күн бұрын
विश्व विद्वान मित्रो! जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है । जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है। लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं। दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए । स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है । जबकि वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है। चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) । चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) । सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।। यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण। बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
@RamKumar-xf6vs
@RamKumar-xf6vs 3 ай бұрын
सबसे पहले मै भाई सुमित चौहान को धन्यवाद आपके चिंतन को आपके विचारो को सलाम आपके शब्दो की मोतीऔ कि माला बनाना आपने जो मनुवाद ओर आर एस एस तथा बी जे पी की धुलाई कि। आपने जो गहराई को छुआ एससी एसटी महान परम्परा को मनुवादीयो के मच पर बहुत ही गहराई से उजागर किया यही दलितों की वास्तविक यही सचाई है यही दलितों की महानता जयभीम जय सविधान नमो बुद्धाय धन्यवाद साथीयों
@budhprakash9200
@budhprakash9200 2 күн бұрын
विश्व विद्वान मित्रो! जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है । जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है। लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं। दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए । स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है । जबकि वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है। चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) । चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) । सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।। यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण। बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
@jagdambaverma9037
@jagdambaverma9037 3 ай бұрын
बहुत बहुत धन्यवाद सुमित भाई
@ajadrajatratanravan7511
@ajadrajatratanravan7511 Жыл бұрын
भाई सुमित जी,,,,,, आप के शब्दों में बाबा साहेब और सभी बहुजन महापुरूषों की खुशबू आती है,,,, आपकी इस बेबाक और निडर पत्रकारिता के लिए बहुत बहुत धन्यवाद साधुवाद जी,,,, जय भीम
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय Ajadrajatratanravan नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
@budhprakash9200
@budhprakash9200 2 күн бұрын
विश्व विद्वान मित्रो! जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है । जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है। लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं। दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए । स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है । जबकि वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है। चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) । चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) । सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।। यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण। बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
@RajendraPrasad-rn2xl
@RajendraPrasad-rn2xl Жыл бұрын
जय भीम जय भारत जय संविधान जय मूल निवासी
@RajVerma-sm8cc
@RajVerma-sm8cc 7 сағат бұрын
Absolutely right 👍
@dhaneshwarprasad435
@dhaneshwarprasad435 2 күн бұрын
सुमित जी बहुत ही बिद्वा न है ऐसे ब्यक्ति समाज में बहुत ही कम मिलते है में इनके लंबी आयु की कामना करता हू जय भीम
@BholaKumar-nu6
@BholaKumar-nu6 Жыл бұрын
Jai bhim namo buddhay
@rakeshjangade3345
@rakeshjangade3345 Жыл бұрын
Jaybhimjaybharatchaohansarlageraho.hindi
@snyadav7466
@snyadav7466 Жыл бұрын
जय भीम जय संविधान जय भारत
@nemsingh3210
@nemsingh3210 Ай бұрын
बहुत अच्छा आपने बोला है आप एक प्रखर वक्ता है निर्भीक पत्रकार हैं आपको दिल से सलूट
@RamBriksh-qi4qt
@RamBriksh-qi4qt 2 ай бұрын
सुमीत चौहन जी की इस बेबाकी की धन्यवाद ।जयभीम।
@subhashnwani4117
@subhashnwani4117 Жыл бұрын
जय भीम🙏🏻 नमो बुद्धाय💙💙💙💙💙💙💙💙
@satrangiji7390
@satrangiji7390 Жыл бұрын
आप जैसे व्यक्तियों की जरूरत है इस देश को बहुत बहुत धन्यवाद जय भीम जय भारत।
@tarsemwalia2401
@tarsemwalia2401 3 ай бұрын
सुमित चौहान i salute you
@ChandanaRinkeshkori-zv9nk
@ChandanaRinkeshkori-zv9nk 2 ай бұрын
सुमित सर के जज्बे को सलाम करते हैं 💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙
@Gopalbarupal5315
@Gopalbarupal5315 Жыл бұрын
सुमित जैसे बुद्धिस्ट लोगों की समाज को आवश्यकता है जय भीम
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय Gopalbarupalji नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
@ramlalkumar9540
@ramlalkumar9540 Жыл бұрын
Sumit sir ke chanel ka subscriber badhane me aap log apna apna sahyog de
@hatimtaj7871
@hatimtaj7871 3 ай бұрын
Hazaro-Lakho SALAM aap jese satayawadi ko 👌👍💪🙏🙋
@prabhulalshakyawar64
@prabhulalshakyawar64 2 күн бұрын
सुमित सर सच को आपने स्वाभिमान पूर्वक बयां किया और जो TRP चैनलों के पत्रकार हैं उसको भी आइना दिखाया है, बहुत बेहतरीन। लोगों को जागना चाहिए अत्याचार को चुपचाप सहन न कर संघर्ष का रास्ता अपनाना होगा....जय भीम
@budhprakash9200
@budhprakash9200 2 күн бұрын
विश्व विद्वान मित्रो! जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है । जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है। लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं। दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए । स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है । जबकि वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है। चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) । चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) । सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।। यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण। बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
@Vidyasagaranshu47
@Vidyasagaranshu47 Жыл бұрын
💙 Jai bhim 💙 🏳 jai satnam 🏳
@krishnaram6740
@krishnaram6740 Жыл бұрын
सुमित जी इस वीडियो मे जो आपने बातो को उजागर किया है ,अब तक दलित होने पर जो सरमिनदगी महसूस करते थे, वह अब गर्व होगा,हम्मे गर्व है की हमारे समाज मे आप लोग जैसे बुद्धिजीवी आज भी है। जय भीम जय भारत
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय Krishnaramjiनमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
@SubhashKumar-vk2um
@SubhashKumar-vk2um 3 ай бұрын
Very good sir AAP sabhi KO Jay jay bheem jay Bharat jay sanvidhan
@dinabandhusuna7349
@dinabandhusuna7349 3 ай бұрын
Heart touching words of Sumit💙🙏👍🇮🇳💙
@budhprakash9200
@budhprakash9200 2 күн бұрын
विश्व विद्वान मित्रो! जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है । जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है। लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं। दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए । स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है । जबकि वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है। चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) । चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) । सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।। यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण। बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
@aaryan73raj54
@aaryan73raj54 Жыл бұрын
जय भीम सुमित जी आप बिलकुल सच कहा
@mahendrap3214
@mahendrap3214 Жыл бұрын
बहुत बहुत साधुवाद भाई, आपकी पत्रकारिता को मेरा तहे दिल से शुक्रिया । जय भीम जय संविधान ।
@budhprakash9200
@budhprakash9200 2 күн бұрын
विश्व विद्वान मित्रो! जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है । जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है। लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं। दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए । स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है । जबकि वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है। चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) । चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) । सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।। यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण। बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
@lavishverma5103
@lavishverma5103 2 күн бұрын
Gajab sir pranam aapka fan ho gaya
@kumarmetangeofficial5253
@kumarmetangeofficial5253 3 ай бұрын
सही कह रहे है सुमित जी आप।
@rashidmujawar4725
@rashidmujawar4725 Жыл бұрын
सुमित जी आपकी बेबाक और सच्ची पत्रकारिता को शत-शत प्रणाम।
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय RashidMujawarji नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
@ramlalkumar9540
@ramlalkumar9540 Жыл бұрын
Sumit sir ke chanel ka subscriber badhane me aap log apna apna sahyog de
@ramkhilawanmalaotiya1543
@ramkhilawanmalaotiya1543 Жыл бұрын
सुमित भाई जय भीम हम आपके साथ हैं
@milindzalte8181
@milindzalte8181 Жыл бұрын
​@@ramlalkumar9540 😅
@ramlalkumar9540
@ramlalkumar9540 Жыл бұрын
@@milindzalte8181 main unko nahi janta... Phir bhi... Kyu ki main unke bare me padha hai.... Tumko kuchh patah hai to batao
@hariram1965
@hariram1965 10 күн бұрын
Please ,Chauchan ji do not call them Upper caste. Call them the so called self styled, self proclaimed upper caste. Well done,respected Chauchan ji
@avadheshkumar1519
@avadheshkumar1519 3 ай бұрын
जय भीम सुमित भाई
@ramaballabh2183
@ramaballabh2183 Жыл бұрын
Sumit ji दिल से जय भीम नमो बुद्धाय आप ने शत प्रतिशत सही है हमारे पूर्वजों ने देश को जोड़ने वाले थे
@jagpritkumar9930
@jagpritkumar9930 Жыл бұрын
Right
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय Ramaballabhji नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
@devindrakuushwaha1910
@devindrakuushwaha1910 Жыл бұрын
👍👍👍👍👍
@devindrakuushwaha1910
@devindrakuushwaha1910 Жыл бұрын
🙏🙏🙏🙏
@ramlalkumar9540
@ramlalkumar9540 Жыл бұрын
Sumit sir ke chanel ka subscriber badhane me aap log apna apna sahyog de
@rajendrakumardayal4959
@rajendrakumardayal4959 Жыл бұрын
बहुत खूब सुमित जी, आपने साहस और बुद्धिमानी से अपनी बात को रखा , जय भीम
@mhusain6217
@mhusain6217 29 күн бұрын
Submit Ji ko lakhon Salam such batane keliye
@NeeleshkumarNeeleshkumar-wh7qn
@NeeleshkumarNeeleshkumar-wh7qn Ай бұрын
Jay Bheem Sumit bhaiya ji 🎉❤🎉❤🎉❤🎉❤🎉❤🎉❤🎉❤🎉❤🎉❤🎉❤🎉❤🎉❤🎉❤🎉❤🎉❤🎉❤🎉❤🎉❤🎉❤🎉❤🎉❤l🎉l❤l🎉l❤
@devimiri7148
@devimiri7148 Жыл бұрын
सुमित सर हमारे समाज को आप जैसे और भी सभी लोगों को प्रेरणा लेकर काम करते रहने की जरूरत है।जय भीम नमो बुद्धाय
@satishchandrayadav9165
@satishchandrayadav9165 Жыл бұрын
very very nice .godi medea ki sachai ujagar karane ke kiye.
@jagpritkumar9930
@jagpritkumar9930 Жыл бұрын
Jai bhim ❤❤
@naturallifejoy
@naturallifejoy Жыл бұрын
सुमित जी आप पत्रकारों में सबसे बेहतर और असली पत्रकार हैं। आप देश के वास्तविक मुद्दे पर सवाल खड़ा करते हैं। और आप देश को बेहतर बनाने की पत्रकारिता करते हैं। आपको दिल ❤की गहराईयों से धन्यवाद ✨✨🌟🌟⭐⭐🙏
@jyotsnameshram4712
@jyotsnameshram4712 Жыл бұрын
very nice Sumit Sir
@sonuchaudhary5139
@sonuchaudhary5139 Жыл бұрын
Ye journalist bhi thakur hai savarn jati se ata hai pr tum jaise log savarn logo pr ungali uthate hai .
@jatavsolanki9808
@jatavsolanki9808 Жыл бұрын
सुमित जी! आपको दिल से सलाम। आप बुद्धिमान तो हैं ही, प्रज्ञावान भी है। आप जैसे बाबा साहब के सच्चे सपूत पर बहुजन समाज को गर्व है। और देश में घोटाले बाले , लूटने वाले विदेश को भागने बाले हमारे समाज का एक भी उनमें नहीं हैं।हम अपने देश एवं देशवासियों से प्रेम करते हैं।
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय Jatavsolanki नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
@desrajshine5777
@desrajshine5777 9 сағат бұрын
You are right brother
@SANJAYTIWARI-kl8fl
@SANJAYTIWARI-kl8fl 2 ай бұрын
सन 1729 का यह मामला है जो पूरे देश पर आप ठोकना चाहते हैं यह बात ठीक नहीं हमारे प्रदेशों में स्त्री अत्यंत सम्मान से रहती थी
@shauryaazadofficialchannel6466
@shauryaazadofficialchannel6466 Жыл бұрын
जय भीम सुमित सर आप ने एकदम दिल छू लेने वाली बात बताई
@dayaldas2362
@dayaldas2362 Жыл бұрын
जय भीम सुमित सर
@ravidas.bauddh8294
@ravidas.bauddh8294 Жыл бұрын
सुमित जी को मेरा प्रणाम, सर जहा तक मेने ये समझा है जिस जिस इंसान हमारे महापुरषों को पड़ा एवं समझा है और उसका आचरण किया है उसेसे इंडिया ही नहीं पूरी दुनिया में कोई भी मुकाबला नहीं कर सकता। मुझे गर्व है की आप की निष्पक्ष पत्रकारीता पर - जय भीम नीला सलाम
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय Ravidas.bauddh नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
@ravidas.bauddh8294
@ravidas.bauddh8294 Жыл бұрын
🙏 jay bhim namo buddhye 🙏
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
@@ravidas.bauddh8294 रविदासजी गुड मॉर्निंग. आपने जवाब तो दिया सीर्फ जय भीम और नमो बुद्धाय से. वह बात तो है ही. पर देशव्यापी चर्चा के बारेमें भी बताये. ईसके पहले मैंने आपको ऊसके बारेमें बताया है ऐसा मुझे याद है. 🙏. अवधूत जोशी
@ravidas.bauddh8294
@ravidas.bauddh8294 Жыл бұрын
आदरणीय जोशी जी राष्ट्र व्यापी चर्चा पर में कुछ बताए क्या एजेंडा , रणनीति, महत्वपूर्ण लक्ष्य क्या है 🙏
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
@@ravidas.bauddh8294 आदरणीय रविदासजी मैं एक राष्ट्रव्यापी चर्चा के माध्यम से हमारी व्यवस्था को तर्कसंगत और तार्किक बनाना चाहता हूं। यह हमारे देश में सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करेगा। 🙏 अवधूत जोशी
@rajkumarravidas4437
@rajkumarravidas4437 2 ай бұрын
आप श्रेष्ठ पत्रकार हैं। आपको शत शत नमन। जय भीम नमो बुद्धाय।
@ranjeetkumarvlogs6986
@ranjeetkumarvlogs6986 3 ай бұрын
सुमित भाई के द्वारा कही हुई सच्ची बात मनुवादीयो को तीर की तरह चभती है। भाई साहब आप सभी को दिल से सादर जय भीम नमो बुद्धाय। बस एसे ही लोगों को जागरूक करते रहीए।
@budhprakash9200
@budhprakash9200 2 күн бұрын
विश्व विद्वान मित्रो! जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को। शरीर के चार अंग को समान माना गया है । जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है। लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं। दो विषय वर्ण जाति और वंश ज्ञाति को भी समझना चाहिए । स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि शब्दावली भी कहा जा सकता है । जबकि वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है। चार कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) । चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) । सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन । श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।। यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर बन जाएं सबजन ब्राह्मण। बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
@krishndevramsastri462
@krishndevramsastri462 Жыл бұрын
दुनिया पत्रकार माने या ना माने मैं सुमित भाई को पत्रकार मानता हूं। यह हमारा दुख दर्द नहीं रख रहे हैं पूरे भारत का दुख दर्द को बारे में ब्या कर रहे हैं धन्यवाद भाई
@prabhudayal9425
@prabhudayal9425 Жыл бұрын
पत्रकार सुमित चौहान जी आपने बहुत ही अच्छा जवाब दिया हमें गर्व है आप जैसे पत्रकार होने पर जो बहुजन हित में अपने ब्याखान दे रहे हैं बहुत ही अच्छा लग रहा है हमारे देश के बहुजन समाज आप लोगो के बात को सुनकर आत्मसात कर रहे हैं। आप पत्रकारों ने अपने समाज को जागृत कर हजारों बोलने वाले पत्रकार को जन्म दिया आप पत्रकारों को दिल से सादर शाधुवाद जय भीम
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
@omkaringale9437
@omkaringale9437 5 ай бұрын
Sumit sir Sach main aap sache aambedkarwadi hai 🤝👍 aapko dil se ❤ krantikari jay bhim 💙🙏🥺
@ravindrasinghjamor1642
@ravindrasinghjamor1642 2 ай бұрын
बहुत सुन्दर हकीकत बात जय भीम sir🎉
@deveshkumarchaudhary7960
@deveshkumarchaudhary7960 Жыл бұрын
सुमित बिल्कुल सही कह रहे हैं ।बहुजन मूलनिवासी असली व सच्चा ।
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय नमो बुद्धाय 🙏 मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार दे रहा हूं, जो आपके, मेरे और हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और मेरे सभी विचार संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं। जाति/धर्म व्यवस्था और इतिहास के मामले में हमारे देश की स्थिति बहुत ही हास्यास्पद है। हिन्दू धर्म का ही उदाहरण लें। मैं ऐसे कई लोगों से मिलता हूं जो हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। क्या यह सही है? किसी भी तरह से... कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म के साथ कानूनी व्यवहार करता है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ अंबेडकरजी या किसी अन्य समाज सुधार का उल्लेख कर सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैंने ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। कृपया सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
@user-qi2sm1zg8x
@user-qi2sm1zg8x Жыл бұрын
सुमित चौहान के विचार सत्य एवं क्रान्तिकारी हैं,आप बहुत अच्छे पत्रकार एवं विचारक हैं।
Which one is the best? #katebrush #shorts
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Jojo Sim
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June 14, 2024
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