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#NiranjanSaar
● बानी गुरु अर्जुन देव जी :-
ठाकुर तुम्ह सरणाई आइआ ॥
उतर गइओ मेरे मन का संसा जब ते दरसन पाइआ ॥ १ ॥ रहाउ ॥
अनबोलत मेरी बिरथा जानी अपना नाम जपाइआ ॥
दुख नाठे सुख सहज समाए अनद अनद गुण गाइआ ॥१॥
बाह पकर कढ लीने अपुने ग्रिह अंध कूप माइआ ॥
कहो नानक गुर बंधन काटे बिछुरत आन मिलाइआ ॥ २ ॥
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