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ग्रंथों के अनुसार 14वीं और 15वीं सदी के ग्रंथों में महाकाल का उल्लेख मिलता है। 18वीं सदी के चौथे दशक में मराठा राजाओं का मालवा पर आधिपत्य होने के बाद पेशवा (प्रधानमंत्री) बाजीराव प्रथम ने उज्जैन का प्रशासन अपने विश्वस्त सरदार राणौजी शिंदे को सौंपा। राणौजी के दीवान थे सुखटंकर रामचंद्र बाबा शैणवी। इन्होंने ही 18वीं सदी के चौथे-पांचवें दशक में मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था। वर्तमान में जो महाकाल मंदिर स्थित है उसका निर्माण राणौजी शिंदे ने ही करवाया है।
महाकाल मंदिर तीन भागों में बना हुआ है। दिव्य ज्योतिर्लिंग मंदिर के सबसे नीचे के भाग में प्रतिष्ठित है। मध्य के भाग में ओंकारेश्वर का शिवलिंग है तथा सबसे ऊपर वाले भाग पर साल में सिर्फ एक बार नागपंचमी पर खुलने वाला नागचंद्रेश्वर मंदिर है। महाकाल मंदिर को पृथ्वी का सेंटर पाइंट या नाभि कहा जाता है। क्योंकि कर्क रेखा शिवलिंग के ठीक ऊपर से गुजरी है।
महाकाल भक्त निवास टेलीफोन बुकिंग नंबर :- 8435303740
अग्रवाल यात्री ग्रुह:-
9827637611
9406851411
राजपूत धर्मशाला दानी गेट:-
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राजपूत धर्मशाला में आपको ₹300 में रूम मिल जाएगी लेकिन गद्दे लेकर नीचे सोना पड़ेगा।
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