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भागीरथी के किनारे उत्तरकाशी (बाड़ाहाट) में विश्वनाथ मंदिर का प्राचीन मंदिर है। इसी कारण यहां का नाम उत्तर की काशी पड़ा है। स्कन्द पुराण में उल्लेख है कि 'यदा पापस्य बाहुल्यं यवनाक्रान्तभुतलम् । भविष्यति तदा विप्रा निवासं हिमवद्गिरो ।। काश्या सह करिष्यामि सर्वतीर्थ: समन्वित:। अनदिसिद्धं मे स्थानं वत्तते सर्वदेय हि।
परशुराम ने की थी मंदिर की स्थापना
विश्वनाथ मंदिर को लेकर मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना परशुराम द्वारा की गई थी। यहां पाषाण शिवलिंग 56 सेंटिमीटर ऊंचा एवम् दक्षिण कि ओर झुका हुआ है। गर्भगृह में भगवान गजानन् एवम् माता पार्वती शिवलिंग के सम्मुख विराजमान है।
परिसर में विद्यमान है 1500 वर्ष पुराना त्रिशूल
विश्वनाथ मंदिर परिसर में कई अन्य मंदिर भी स्थिति हैं। इन में सबसे महत्वपूर्ण है शक्ति मंदिर जो विश्वनाथ मंदिर के सामने स्थित है। यहां देवी एक विशाल त्रिशूल के रूप में विराजमान हैं। यह त्रिशूल 16.5 फीट ऊंचा है और लगभग 1500 वर्ष पुराना है।
यह उत्तराखंड के प्राचीनतम धार्मिक चिह्नों में से एक है। इस त्रिशूल पर तिब्बती भाषा के आलेख अंकित हैं जो कि भारत और तिब्बत के सांस्कृतिक आदान-प्रदान का ध्योतक हैं। त्रिशूल पर नाग वंश की वंशावली भी अंकित है।