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उत्तराखंड में पौड़ी गढ़वाल जिले से सबसे अधिक पलायन हुआ है। इस जिले में कई गाँव अब खाली हो चुके है। लेकिन कुछ ऐसी भी कहानियाँ है जो रिवर्स पलायन का बेजोड़ उदाहरण है।जहरीखाल ब्लॉक के मलेथी गाँव में दो परिवार की ऐसी है कहानी है जिन्होंने महानगरों की जिंदगी छोड़ कर वापस अपने गाँव लौट आए।
Visit Pauri | intersting Fact About Uttarakhand | मलेथी गाँव। Rural Tales
मलेथी गाँव के मनवीर पटवाल पहले फरीदाबाद रहते थे। परिवार में दो बेटी और एक बेटा लेकिन मन हमेशा अपने गाँव में लगा रहता था। पहले 2012 में अपने गाँव आए और खेती बाड़ी शुरू कर दी लेकिन कुछ साल बाद फिर फरीदाबाद आ गए। 2019 में जब कोराना महामारी फैली तो मनवीर अपने बच्चों के साथ पूरी तरह गाँव में आ गए। इस दौरान परिवार में इस निर्णय के पर बहस भी हुई लेकिन आज उनकी पत्नी और बेटा उनके काम में साथ दे रहे है।उन्होने खेती बाड़ी के साथ बकरी, गाय और मुर्गी पालन भी किया है। गाँव में है रहते उन्होंने अपनी दूसरी बेटी की शादी भी की।मनवीर कहते है कि अगर आपके अंदर कुछ कर गुजरने का हौंसला है तो फिर बंजर खेतो में भी हरियाली लाई जा सकती है।
मनोरमा देवी कि भी कहानी कुछ ऐसी है है।2004 में जब उनका बेटा मात्र डेढ़ साल का था तो उसकी तबियत काफी ख़राब हो गई। डॉक्टरों ने उसे गाँव जाने कि सलाह दी। वो उस समय लुधियाना रहते थे। अपने परिवार के साथ उन्होंने मलेथी गाँव में एक गाय पाली उसके बाद उन्होंने एक गाय और खरीदी फिर तो मनोरमा देवी ने डेयरी उद्योग पर फोकस शुरू कर दिया। परिवार का साथ मिलता गया और उन्होने आज 14 गायों के साथ दूध का अच्छा कारोबार अपने गाँव में ही शुरू कर दिया है।
मनवीर पटवाल(मलेथी )-87008 79036
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