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Visit Tehri | Ghansali | अखोडी गांव | उत्तराखंड का मॉडल विलेज | Utarakhand
अखोड़ी गाँव टिहरी गढ़वाल की 11 गाँव पट्टी में स्थित है जो भिलंगना ब्लॉक में पड़ती है।अखोड़ी गाँव को टिहरी गढ़वाल का सबसे बड़ा गाँव का गौरव प्राप्त है।घनसाली से अखोड़ी की दूरी करीब 30 किमी है।
स्व इंद्र मणि बडोनी का जन्म अखोड़ी गाँव में ही हुआ था।उत्तराखंड पृथक राज्य आन्दोलन के सूत्रधार रहे। 24 दिसम्बर 1925 को हुआ पिता श्री सुरेशानंद बडोनी तथा माँ का नाम श्रीमती कालू देवी था।यह एक बहुत ही गरीब परिवार था।
स्वर्गीय इन्द्रमणि बडोनी जी ने कक्षा चार क़ी शिक्षा अपने गावं अखोड़ी से प्राप्त की तथा मिडिल ( कक्षा 7) उन्होंने रोड धार से उत्तीर्ण क़ी उसके बाद वे आगे क़ी पढाई के लिए टिहरी मसूरी और देहरादून गए।
बचपन में इन्होने अपने साथिओ के साथ गाय , भेंस चराने का काम भी खूब किया.पिताजी क़ी जल्दी मौत हो जाने के कारण घर क़ी जिम्मेदारी आ गई।कुछ समय के लिए वे बॉम्बे भी गए . वहां से वापस आकर बकरिया और भैंस पालकर परिवार चलाया . बहुत मेहनत से अपने दोनों छोटे भाइयो श्री महीधर प्रसाद और श्री मेधनि धर को उच्च शिक्षा दिलाई।
अपने गावं से ही उन्होंने अपने सामाजिक जीवन को विस्तार देना आरम्भ किया, पर्यावरण सरक्षण के लिए उन्होंने गावं में अपने साथिओ क़ी मदद से कार्य किये. उन्होंने जगह जगह स्कूल खोले...उनके द्वारा आरम्भ किये गए स्कूल आज खूब फल फूल रहे है ...इनमे से कई विद्यालयों का प्रांतीयकरण एवं उच्चीकरण भी हो चूका है।स्व बडोनी माधो सिंह भंडारी की नृत्य नाटिका का मंचन कर जो धनराशि मिलती थी उससे उन्होंने स्कूलों को खोला।
स्व बडोनी 1956 में जखोली विकास खंड के पहले ब्लोक प्रमुख बने ....इससे पहले वे गावं के प्रधान थे. 1967 में निर्दलीय प्रत्यासी के तौर पर विजयी होकर देवप्रयाग विधानसभा सीट से उत्तरप्रदेश विधानसभा के सदस्य बने. 1969 में अखिल भारतीय कांग्रेस के चुनाव चिन्ह दो बेलो क़ी जोड़ी से वे दूसरी बार इसी सीट से विजयी हुए।1974 में वे ओल्ड कोंग्रेस के प्रत्यासी के रूप में गोविन्द प्रसाद गैरोला जी से चुनाव हार गए.1977 में एक बार फिर निर्दलीय के रूप में जीतकर तीसरी बार देवप्रयाग सीट से विधान सभा में पहुचे. 1980 में मध्यावधि चुनाव हुए पर वे चुनाव नहीं लड़े . 1989 में ब्रह्मदत्त जी के साथ सांसद का चुनाव वे हार गए थे.
1979 से ही वे उत्तराखंड अलग राज्य निर्माण के लिए सक्रिय हो गए थे.वे पर्वतीय विकास परिषद् के उपाध्यक्ष भी रहे समय समय पर वे पृथक राज्य के लिए अलख जगाते रहे ,1994 में पौड़ी में उनके द्वारा आमरण अनसन शुरू किया गया सरकार द्वारा साम, दाम, भेद के बाद दंड क़ी नीति अपनाते हुए उन्हें मुजफरनगर जेल में डाल दिया गया. उसके बाद 2 सितम्बर और 2 अक्टूबर का काला इतिहास आप सभी भली भांति जानते हैं ।
उत्तराखंड आन्दोलन के दौरान कई मोड़ आये. इस पूरे आन्दोलन में वे केंद्रीय भूमिका में रहे. इस आन्दोलन में उनके करिश्माई नेतृत्व , सहज सरल व्यक्तित्व , अटूट लगन , निस्वार्थ भावना , और लोगो से जुड़ने क़ी गज़ब क्षमता के कारण उन्हें पर्वतीय गांधी कहा जाने लगा।
9 नवम्बर 2000 को उत्तराखंड राज्य भारतवर्ष के नक़्शे पर अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आया. लेकिन पहाड़ी जन मानस क़ी पीड़ा को समझने वाला, जन-नायक, इस आन्दोलन का ध्वजवाहक , महान संत, उत्तराखंड राज्य का सपना आंखो में संजोये इससे पहले ही 18 अगस्त 1999 को अपने निवास बिट्ठल आश्रम ऋषिकेश में चिर निंद्रा में सो गया।
अखोड़ी गाँव एक आदर्श गाँव है।यहाँ बिजली,पानी,सड़क और स्वास्थ्य सुविधाएं मौजूद है।अखोड़ी में राजकीय इंटर कॉलेज,बैंक भी मौजूद है।संचार सुविधाओ की कोई कमी नही है।
अखोडी गाँव में बड़ी संख्या में अखरोट पाए जाते है इसीलिए इसे अखोडी गाँव कहा जाता है।इस गाँव में 18 जातियाँ पाई जाती है और इतनी जातियों के कारण भी इस गाँव में सामाजिक समरसता कूट कूट कर भरी हुई है।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि गाँव में शिवालय मंदिर की लकड़ी के खंभे लेकर आते है।एक तरफ अखोडी गाँव होता है और दूसरी तरफ बाकी 9 गाँव के लोग होते है।इस धार्मिक आयोजन में भी हर बार अखोडी की ही विजय होती है।इस गाँव में घसेरी प्रतियोगिता भी होती है।
गाँव में 350 परिवार रह रहे है।इस गाँव से गब्बर सिंह नेगी प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए।गाँव में नृसिं मंदिर,नगेला देवता,नागराज मंदिर सहित है।इस गाँव में जगदम्बा का मंदिर और डोली है।
अखोड़ी गाँव से दो बड़े ट्रैक है जो भविष्य में बड़े ट्रैक बन सकते है।
1 अखोडी- विश्वनाथ- पंवालीकांठा ट्रेक 30
2 अखोडी विश्वनाथ त्रिजुगीनारायण 45
स्वरूप सिंह मेहरा-9837143577
हरीश बडोनी- 78950 97517
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