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विवाह की ग्रह दशा कब आएगी, जाने अपने विवाह का समय, विवाह का समय कब आएगा, स्वयं जाने अपने विवाह का समय,
दाम्पत्य जीवन को सुखी बनाने में बृहस्पति और शुक्र का सप्तम भाव और सप्तमेश से सम्बन्ध महत्वपूर्ण होता है.जिस पुरूष की कुण्डली में सप्तम भाव, सप्तमेश और विवाह कारक ग्रह शुक बृहस्पति से युत या दृष्ट होता है उसे सुन्दर गुणों वाली अच्छी जीवनसंगिनी मिलती है.इसी प्रकार जिस स्त्री की कुण्डली में सप्तम भाव, सप्तमेश और विवाह कारक ग्रह बृहस्पति शुक्र से युत या दृष्ट होता है उसे सुन्दर और अच्छे संस्कारों वाला पति मिलता है.
शुक्र भी बृहस्पति के समान सप्तम भाव में सफल वैवाहिक जीवन के लिए शुभ नहीं माना जाता है.सप्तम भाव का शुक्र व्यक्ति को अधिक कामुक बनाता है जिससे विवाहेत्तर सम्बन्ध की संभावना प्रबल रहती है.विवाहेत्तर सम्बन्ध के कारण वैवाहिक जीवन में क्लेश के कारण गृहस्थ जीवन का सुख नष्ट होता है.बृहस्पति और शुक्र जब सप्तम भाव को देखते हैं अथवा सप्तमेश पर दृष्टि डालते हैं तो इस स्थिति में वैवाहिक जीवन सफल और सुखद होता है.लग्न में बृहस्पति अगर पापकर्तरी योग से पीड़ित होता है तो सप्तम भाव पर इसकी दृष्टि का शुभ प्रभाव नहीं होता है ऐसे में सप्तमेश कमज़ोर हो या शुक्र के साथ हो तो दाम्पत्य जीवन सुखद और सफल रहने की संभावना कम रहती है.