Пікірлер
@ashokagrawal4513
@ashokagrawal4513 Сағат бұрын
ओम, सादर प्रणाम आचार्य जी।
@ashokagrawal4513
@ashokagrawal4513 Сағат бұрын
ओम, सादर प्रणाम आचार्य जी।
@ashokagrawal4513
@ashokagrawal4513 Сағат бұрын
ओम, सादर प्रणाम आचार्य जी।
@utpalkumar1370
@utpalkumar1370 9 сағат бұрын
प्रयास नहीं बेवकूफ जलाए थे 💯💯 ...शूद्र नहीं, अछूत के लिए क्या किया है??
@ArjunguptaModi1385-d1b
@ArjunguptaModi1385-d1b 9 сағат бұрын
Om
@ArjunguptaModi1385-d1b
@ArjunguptaModi1385-d1b 9 сағат бұрын
Om
@DilipKushwah-yb2yj
@DilipKushwah-yb2yj 10 сағат бұрын
स्वाभिमान हितकर होता है । अभिमान कष्टदाई होता है ।
@DilipKushwah-yb2yj
@DilipKushwah-yb2yj 10 сағат бұрын
आचार्य जी सादर नमस्ते
@ashokagrawal4513
@ashokagrawal4513 15 сағат бұрын
ओम, सादर प्रणाम आचार्य जी।
@SubhashTyagi-sw7hp
@SubhashTyagi-sw7hp 15 сағат бұрын
Iskcon temple mission is the greatest than Arya samaj. Your spiritual knowledge is most less than iskcon temple.
@mnpcontent5073
@mnpcontent5073 19 сағат бұрын
Pranam acharya ji 🙏
@sungeetarawat6877
@sungeetarawat6877 19 сағат бұрын
G00d
@mangilalbunkar1816
@mangilalbunkar1816 19 сағат бұрын
एक सीखने वाले शिष्य को गुरु ने कहा मेरा ज्ञान वापस कर तो शिष्य ने उल्टी कर ज्ञान उड़ेल दिया तो कई शिष्यों ने तीतर बन कर ज्ञान को खा गए। तीतर बन कर ज्ञान प्राप्त किया जो तेतरीय उपनिषद बना। कैसी गप लिखी है। बकरा ब्राह्मण, मेढा क्षत्रिय, गाय वैश्य घोड़ा शुद्र है ये ज्ञान हैं इसमें। यदि वेद, उपनिषद, पुराण, रामायण, महाभारत में ज्ञान होता तो देश हजारों साल गुलाम नहीं होता। कोई वैज्ञानिक नहीं पैदा हुए, नए अविष्कार विदेशों में हुए झुटी गप लिखी है, यहां आसाराम, राम रहीम, निर्मल बाबा, दाती महाराज, जैसे बाबा पैदा हुए। आज भी इन गप लिखी किताबों का ज्ञान फैला रहे हैं, देश आगे कैसे बढ़ेगा।
@sungeetarawat6877
@sungeetarawat6877 19 сағат бұрын
बहुत अच्छी जानकारी
@budhprakash9200
@budhprakash9200 20 сағат бұрын
चार वर्ण कर्म विभाग का व्यर्थ अंधविरोध करने वकले बताओ चार वर्ण कर्म विभाग जैसे कि शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादन-शूद्रम और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए बिना जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा?
@budhprakash9200
@budhprakash9200 20 сағат бұрын
चार वर्ण कर्म विभाग का व्यर्थ अंधविरोध करने वकले बताओ चार वर्ण कर्म विभाग जैसे कि शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादन-शूद्रम और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए बिना जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा?
@budhprakash9200
@budhprakash9200 20 сағат бұрын
शिक्षित विद्वान द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) ! शूद्रं / शूद्रन/ शूद्रण कौन ? इस पोस्ट को पढ़कर जानें समझें। कुछ लोग ऊंची नीची जातियों की बात करते हैं इसका कारण अज्ञानता में जीना है ? इस पोस्ट को पढ़कर समझकर जाति वर्ण के विषय में ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करना चाहिए। वर्णजाति और वंशज्ञाति क्या हैं ? उनको जानना समझना चाहिए। विभाग/ पदवी ( वर्ण / जाति ) वाले शब्दों का प्रयोग पेशेवर कार्य करने वालों को पुकारने के लिए किया जाता है। जिविका सुरक्षा प्रबंधन के लिए विधि व्यवस्था प्रबंधन किया गया है पौराणिक वैदिक ऋषि राजर्षि जनों द्वारा और वंश ज्ञाति गोत्र कुल शब्दों का प्रयोग विवाह सम्बन्ध रिश्ते नाते करने के लिए किया जाता है। विज्ञान सम्मत बेहतर समाज प्रबंधन के लिए द्विजन ( स्त्री पुरष ) के लिए चार आयु आश्रम परिवार कल्याण व्यवस्था के लिए नीति विधि को निर्मित किया गया है पौराणिक वैदिक सनातनी ऋषि राजर्षि संसद द्वारा l चारवर्ण और चार आश्रम को मिलकर वर्णाश्रम शब्द का निर्माण कर समाज को बेहतर बनाने के लिए विधा की गई है चार वर्ण कर्म विभाग = 1 - ब्रह्म वर्ण = ज्ञान अध्यापन विभाग = Education 2 - क्षत्रम वर्ण = सुरक्षा न्याय विभाग = Protection 3 - शूद्रम वर्ण = उत्पादन निर्माण विभाग = Production 4 - वैशम वर्ण = वितरण वाणिज्य विभाग = Distribution पांचवेजन भोगी जनसेवक /दासजन (नौकरजन सेवकजन) भी इन्ही चारवर्णो में कार्यरत हैं । शिक्षित द्विजन ( स्त्री पुरुष ) दिमाग सदुपयोग कर विचार अवश्य जानें कि जलाने से या मिटाने से चार वर्ण (विभाग) कभी खत्म नहीं होते हैं l जब यजुर्वेद में शूद्रन को तपसे होना लिखा है तो लेखकजन तप छोड़कर सेवा ही क्यों लिखते रहते हैं और द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) भी सेवक बोलते रहते हैं ? शूद्रन को तपस्वी क्यों नहीं लिखते बोलते हैं? द्विजन ( स्त्री पुरष) शिक्षित होकर भी प्रिंट सुधार कार्य क्यों नहीं करते हैं ? प्रिंट सुधार करना करवाना शिक्षित विद्वान मानव द्विज़न ( स्त्री-पुरुष ) का काम है। चार वर्ण कर्म विभाग शरीर के चार अंग के समान - हरएक द्विज़न ( स्त्री पुरष ) मुख समान ब्राह्मण/ब्राह्मणी हैं, बांह समान क्षत्रिय/ क्षत्राणी हैं, पेटउदर समान शूद्रण/ शूद्राणी हैं और चरण समान वैश्य/ वैश्याणी हैं l चरण चलने से व्यापार वितरण होता है इसलिए चरण समान वैश्य होता है l चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत जनसेवक नौकरजन दासण/ दासाणी हैं। चार वर्ण (विभाग) जीविका सुरक्षा के लिए सदा बने रहते हैं l इसलिए सनातन हैं l चार आयु आश्रम ( ब्रह्मचर्य, ग्रहस्थ, वानप्रस्थ और यतिआश्रम) सदा बने रहते हैं इसलिए वर्णाश्रम प्रबन्धन श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन सनातन हैं l जैसे उम्र बदलने से आश्रम बदल जाते हैं वैसे ही कार्य बदलने से वर्ण विभाग बदल जाते हैं। यह सत्य सनातन है लेकिन शरीर के चार अंग के समान समाज के चार वर्ण कर्म बने रहते हैं इसलिए कोई भी किसी भी वर्ण को मानकर बताकर नामधारी वर्ण वाला बताकर जी सकते हैं, यह सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। जिसको यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत पोस्ट समझ नहीं आती है तो बताएं अगर चरण नहीं चलेंगे तो कोई भी समान एक स्थान से क्रय कर उठाकर ट्रांसपोर्ट कर दूसरे स्थान पर विक्रय वितरण वाणिज्य आढ़त व्यापार के लिए कैसे जाएगा अर्थात वैश्य वर्ण कार्य चरण पांव चलाए बिना व्यापार वितरण कैसे होगा ? सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार। जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ।।
@budhprakash9200
@budhprakash9200 20 сағат бұрын
चार वर्ण कर्म विभाग का व्यर्थ अंधविरोध करने वकले बताओ चार वर्ण कर्म विभाग जैसे कि शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादन-शूद्रम और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए बिना जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा?
@budhprakash9200
@budhprakash9200 20 сағат бұрын
पुरातन सनातन दक्षधर्म संस्कार ज्ञान- हे मनुष्य ! बलपूर्वक जो दिया जाए, बलपूर्वक भोग किया जाए, बलपूर्वक लिखवाया जाए और जो जो बलपूर्वक कर्म किये जाए वे नहीं करने चाहिए। एसा विधिनियम मनु महाराज ने कहा है। संस्कृत श्लोक विधिनियम- ॐ बलाद्दतं बलाद् भुक्तं बलाद्याच्चापि लेखितम् l सर्वान्बलकृतानर्थानकृतान्मनुरब्रवीत् ।। वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र। । जय विश्व राष्ट्र पुरातन सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म वर्णाश्रम संस्कार।। ॐ।।शिक्षित द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) ! जाति वर्ण में ऊच नीच करने वालो को वर्णजाति और वंशज्ञाति को जानना समझना चाहिए। पदवी /विभाग ( जाति/ वर्ण ) वाले शब्दों का प्रयोग पेशेवर कार्य करने वालों को पुकारने के लिए किया जाता है और जीविकोपार्जन विषय प्रबन्धन के लिए किया जाता है। वंश ज्ञाति गोत्र शब्दों का प्रयोग विवाह सम्बन्ध रिश्ते नाते करने के लिए किया जाता है। विज्ञान सम्मत बेहतर समाज प्रबंधन के लिए द्विजन ( स्त्री पुरष ) के लिए आश्रम व्यवस्था के लिए चार आश्रम प्रबंधन निर्मित किया गया है वैदिक ऋषि राजर्षि संसद द्वारा l चारवर्ण और चार आश्रम को मिलकर वर्णाश्रम शब्द का निर्माण कर समाज को बेहतर बनाने के लिए विधा की गई है चार वर्ण विभाग = 1 - ब्रह्म वर्ण = ज्ञान विभाग = Education 2 - क्षत्रम वर्ण =सुरक्षा विभाग = Protection 3 - शूद्रम वर्ण =उत्पादन विभाग = Production 4 - वैशम वर्ण = वितरण विभाग = Distribution वेतन भोगी जनसेवक (दास) नौकर भी इन्ही चारवर्ण में कार्यरत हैं । शिक्षित द्विज़न ( स्त्री पुरुष ) विचार अवश्य जानें कि जलाने से या मिटाने से चार वर्ण (विभाग) कभी खत्म नहीं होते हैं l जब यजुर्वेद में शूद्रन को तपसे होना लिखा है तो लेखकजन तप छोड़कर सेवा ही क्यों लिखते रहते हैं और द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) भी बोलते रहते हैं ? शूद्रन को तपस्वी क्यों नहीं लिखते बोलते हैं? द्विजन ( स्त्री पुरष) शिक्षित होकर भी प्रिंट सुधार कार्य क्यों नहीं करते हैं ? प्रिंट सुधार करना करवाना शिक्षित विद्वान मानव द्विज़न ( स्त्री-पुरुष ) का काम है। चार वर्ण = चार विभाग = कर्म चार l 1 - ब्रह्म वर्ण = ज्ञान शिक्षा विभाग 2 - क्षत्रम वर्ण = ध्यान रक्षा विभाग 3 - शूद्रम वर्ण = उत्पादन विभाग 4 - वैशम वार्न = वितरण विभाग l पांचवे वेतन भोगी दास ज़न सेवक वर्ग भी इन्हीं चारों वर्ण विभाग कर्म को करते हैं l यही चारवर्ण पांचज़न सनातन वेद दर्शन व्यवस्था है l हरएक द्विज़न ( स्त्री पुरष ) मुख समान ब्राह्मण हैं, बांह समान क्षत्रिय हैं, पेट समान शूद्रन है और चरण समान वैश्य है l चरण चलने से व्यापार वितरण होता है इसलिए चरण समान वैश्य होता है l चार वर्ण (विभाग) जीविका सुरक्षा के लिए सदा बने रहते हैं l इसलिए सनातन हैं l चार आश्रम उम्र के सदा बने रहते हैं इसलिए सनातन हैं l जैसे उम्र बदलने से आश्रम बदल जाते हैं वैसे ही कार्य बदलने से वर्ण विभाग बदल जाते हैं। यही सत्य सनातन है l जिसको यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत पोस्ट समझ नहीं आती है तो बताएं अगर चरण नहीं चलेंगे तो कोई भी समान एक स्थान से उठाकर दूसरे स्थान पर कैसे जाएगा अर्थात वैश्य वर्ण कार्य व्यापार वितरण कैसे होगा ? जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।
@budhprakash9200
@budhprakash9200 20 сағат бұрын
पुरातन सनातन दक्षधर्म संस्कार ज्ञान- हे मनुष्य ! बलपूर्वक जो दिया जाए, बलपूर्वक भोग किया जाए, बलपूर्वक लिखवाया जाए और जो जो बलपूर्वक कर्म किये जाए वे नहीं करने चाहिए। एसा विधिनियम मनु महाराज ने कहा है। संस्कृत श्लोक विधिनियम- ॐ बलाद्दतं बलाद् भुक्तं बलाद्याच्चापि लेखितम् l सर्वान्बलकृतानर्थानकृतान्मनुरब्रवीत् ।। वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र। । जय विश्व राष्ट्र पुरातन सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म वर्णाश्रम संस्कार।। ॐ।।
@budhprakash9200
@budhprakash9200 20 сағат бұрын
शिक्षित द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) ! सबसे अधिक पवित्र कौन ? इस पोस्ट को पढ़कर जानें । शूद्रन सबसे अधिक पवित्र है। आचमन के समय ह्रदय तक जल पहुंचने पर अध्यापक विप्रजन ( ब्रह्मण ) शुद्ध होता है, कंठ तक पहुंचने पर सुरक्षक चौकीदार (क्षत्रिय) शुद्ध होता है, मुख में पंहुचने पर वितरक वणिक (वैश्य) शुद्ध होता है और जल छूने मात्र से उत्पादक निर्माता ( शूद्रण) पवित्र होता है। इस पोस्ट में प्रस्तुत श्लोक विधिनियम प्रमाण अनुसार सबसे अधिक शूद्रण पवित्र होता है। संस्कृत श्लोक विधिनियम- ह्रद्गागाभि: पूयते विप्र: कण्ठगाभिस्तु भूमिप: । वैश्योऽद्भि: प्राशिताभिस्तु शूद्रण: स्पृष्टाभिरन्तत: ।। वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र।। तपसे शूद्रम । यजुर्वेद अनुसार। शूद्रण ही तपस्वी है। शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगानी आवश्यक है। अंक की मात्रा होने से शूद्रन/शूद्रण/ शूद्रम लिखना बोलना प्रिंट सुधार करना चाहिए। पांचजन्य चारवर्ण = ( शिक्षण-ब्रह्म वर्ण + सुरक्षण-क्षत्रम वर्ण + उत्पादन-शूद्रम वर्ण + वितरण-वैशम वर्ण ) × जनसेवकवर्ग/ दासजनवर्ग । जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।
@budhprakash9200
@budhprakash9200 20 сағат бұрын
पुरातन सनातन दक्षधर्म संस्कार ज्ञान- हे मनुष्य ! बलपूर्वक जो दिया जाए, बलपूर्वक भोग किया जाए, बलपूर्वक लिखवाया जाए और जो जो बलपूर्वक कर्म किये जाए वे नहीं करने चाहिए। एसा विधिनियम मनु महाराज ने कहा है। संस्कृत श्लोक विधिनियम- ॐ बलाद्दतं बलाद् भुक्तं बलाद्याच्चापि लेखितम् l सर्वान्बलकृतानर्थानकृतान्मनुरब्रवीत् ।। वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र। । जय विश्व राष्ट्र पुरातन सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म वर्णाश्रम संस्कार।। ॐ।।
@budhprakash9200
@budhprakash9200 20 сағат бұрын
शिक्षित विद्वान द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) ! शूद्रं / शूद्रन/ शूद्रण कौन ? इस पोस्ट को पढ़कर जानें समझें। कुछ लोग ऊंची नीची जातियों की बात करते हैं इसका कारण अज्ञानता में जीना है ? इस पोस्ट को पढ़कर समझकर जाति वर्ण के विषय में ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करना चाहिए। वर्णजाति और वंशज्ञाति क्या हैं ? उनको जानना समझना चाहिए। विभाग/ पदवी ( वर्ण / जाति ) वाले शब्दों का प्रयोग पेशेवर कार्य करने वालों को पुकारने के लिए किया जाता है। जिविका सुरक्षा प्रबंधन के लिए विधि व्यवस्था प्रबंधन किया गया है पौराणिक वैदिक ऋषि राजर्षि जनों द्वारा और वंश ज्ञाति गोत्र कुल शब्दों का प्रयोग विवाह सम्बन्ध रिश्ते नाते करने के लिए किया जाता है। विज्ञान सम्मत बेहतर समाज प्रबंधन के लिए द्विजन ( स्त्री पुरष ) के लिए चार आयु आश्रम परिवार कल्याण व्यवस्था के लिए नीति विधि को निर्मित किया गया है पौराणिक वैदिक सनातनी ऋषि राजर्षि संसद द्वारा l चारवर्ण और चार आश्रम को मिलकर वर्णाश्रम शब्द का निर्माण कर समाज को बेहतर बनाने के लिए विधा की गई है चार वर्ण कर्म विभाग = 1 - ब्रह्म वर्ण = ज्ञान अध्यापन विभाग = Education 2 - क्षत्रम वर्ण = सुरक्षा न्याय विभाग = Protection 3 - शूद्रम वर्ण = उत्पादन निर्माण विभाग = Production 4 - वैशम वर्ण = वितरण वाणिज्य विभाग = Distribution पांचवेजन भोगी जनसेवक /दासजन (नौकरजन सेवकजन) भी इन्ही चारवर्णो में कार्यरत हैं । शिक्षित द्विजन ( स्त्री पुरुष ) दिमाग सदुपयोग कर विचार अवश्य जानें कि जलाने से या मिटाने से चार वर्ण (विभाग) कभी खत्म नहीं होते हैं l जब यजुर्वेद में शूद्रन को तपसे होना लिखा है तो लेखकजन तप छोड़कर सेवा ही क्यों लिखते रहते हैं और द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) भी सेवक बोलते रहते हैं ? शूद्रन को तपस्वी क्यों नहीं लिखते बोलते हैं? द्विजन ( स्त्री पुरष) शिक्षित होकर भी प्रिंट सुधार कार्य क्यों नहीं करते हैं ? प्रिंट सुधार करना करवाना शिक्षित विद्वान मानव द्विज़न ( स्त्री-पुरुष ) का काम है। चार वर्ण कर्म विभाग शरीर के चार अंग के समान - हरएक द्विज़न ( स्त्री पुरष ) मुख समान ब्राह्मण/ब्राह्मणी हैं, बांह समान क्षत्रिय/ क्षत्राणी हैं, पेटउदर समान शूद्रण/ शूद्राणी हैं और चरण समान वैश्य/ वैश्याणी हैं l चरण चलने से व्यापार वितरण होता है इसलिए चरण समान वैश्य होता है l चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत जनसेवक नौकरजन दासण/ दासाणी हैं। चार वर्ण (विभाग) जीविका सुरक्षा के लिए सदा बने रहते हैं l इसलिए सनातन हैं l चार आयु आश्रम ( ब्रह्मचर्य, ग्रहस्थ, वानप्रस्थ और यतिआश्रम) सदा बने रहते हैं इसलिए वर्णाश्रम प्रबन्धन श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन सनातन हैं l जैसे उम्र बदलने से आश्रम बदल जाते हैं वैसे ही कार्य बदलने से वर्ण विभाग बदल जाते हैं। यह सत्य सनातन है लेकिन शरीर के चार अंग के समान समाज के चार वर्ण कर्म बने रहते हैं इसलिए कोई भी किसी भी वर्ण को मानकर बताकर नामधारी वर्ण वाला बताकर जी सकते हैं, यह सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। जिसको यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत पोस्ट समझ नहीं आती है तो बताएं अगर चरण नहीं चलेंगे तो कोई भी समान एक स्थान से क्रय कर उठाकर ट्रांसपोर्ट कर दूसरे स्थान पर विक्रय वितरण वाणिज्य आढ़त व्यापार के लिए कैसे जाएगा अर्थात वैश्य वर्ण कार्य चरण पांव चलाए बिना व्यापार वितरण कैसे होगा ? सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार। जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ।।
@dharmrajsingh3612
@dharmrajsingh3612 20 сағат бұрын
Namste
@SaurabhTawlare
@SaurabhTawlare 20 сағат бұрын
🙏
@anuchauhan4125
@anuchauhan4125 20 сағат бұрын
आचार्य जी सादर नमस्ते 🙏,
@user-ij4yf5de8u
@user-ij4yf5de8u 20 сағат бұрын
ओम नमस्ते सभी को 🙏🙏 में एक आर्यसमाजी वैदिक युवा हु मुझे बहुत इच्छा हे की कोई आर्य कन्या मिले यदी कोई आर्यकन्या विवाह के इच्छुक हो वो कृपया संपर्क करें 🙏🙏
@NarayananDungrajaal
@NarayananDungrajaal 20 сағат бұрын
🕉️🙏
@PrabhakarSharma-qg4ov
@PrabhakarSharma-qg4ov 21 сағат бұрын
आचार्य जी सादर नमस्ते 🙏🙏🚩🕉️🌞🙏🙏📙 बहुत बहुत सुन्दर प्रस्तुति अच्छी जानकारी दी आप ने जारी रखें अंकित जी सादर अभिवादन स्वीकार करे आज बहुत अच्छा व्याख्यान दिया उपनिषद् कि अरिनाम्हा सूर्य देव को भी कहा जाता है बहुत बहुत धन्यवाद साधुवाद ग्रेटर नोएडा से प्रभाकर शर्मा
@ramniwassingh6833
@ramniwassingh6833 21 сағат бұрын
🕉️ ईश्वर
@rajkumarrathore7964
@rajkumarrathore7964 21 сағат бұрын
ओउम् सादर नमस्ते आदरणीय आचार्य जी
@manojaryartist1313
@manojaryartist1313 Күн бұрын
नमस्ते आचार्य जी, नमस्ते आचार्य जी।
@lokendrakumar3547
@lokendrakumar3547 Күн бұрын
ठीक आरही है
@satyapalsharma3129
@satyapalsharma3129 Күн бұрын
आपके परिवार के लोग या संबंधी लोग जिन्होंने वेदों को पुराणों को शास्त्रों को नही पढ़ा है क्या वह पूजा नही करते हैं।आर्य समाजी लोग उसको ही श्रेष्ठ मानते हैं जो लोग अपने नाम में आर्य शब्द जोड़ लेते हैं उनको ही श्रेष्ठ मानते हैं या आर्य समाज से जुड़े व्यक्तियों को ही श्रेष्ठ मानते हैं।अन्य लोगो को आप हीन या नीच मानते हैं।वेदों को वही पढ़ सकता है जिसने संस्कृत साहित्य को पढ़ा है ।
@satyaprakashsingh6063
@satyaprakashsingh6063 Күн бұрын
आप के ज्ञान को प्रणाम आप ने स्वाध्याय,मनन , चिन्तन किया है।
@SaurabhTawlare
@SaurabhTawlare Күн бұрын
🙏
@dalbirsinghchahal6932
@dalbirsinghchahal6932 Күн бұрын
नमस्ते आचार्य जी
@viplav31
@viplav31 Күн бұрын
Aur jinko peechale janm ka yaad h kya vo bhagvan ki galti h?
@uniteindia7229
@uniteindia7229 Күн бұрын
Niyog is not correct
@uniteindia7229
@uniteindia7229 Күн бұрын
Bhai kha na kay chata hu
@indrajeetsingh7617
@indrajeetsingh7617 Күн бұрын
So thanks for such a deep knowledge
@anmolsoni4857
@anmolsoni4857 Күн бұрын
जी सादर अभिवादन नमो नमः ❤️🙏
@ashokagrawal4513
@ashokagrawal4513 Күн бұрын
ओम, सादर प्रणाम आचार्य जी।
@PrabhakarSharma-qg4ov
@PrabhakarSharma-qg4ov Күн бұрын
सुप्रभात मित्रों दोस्तों परिवार सत्य सनातन धर्म सत्य सनातन संस्कृति और सभ्यता संस्कार कर्म प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण एवं तकनीकी शिक्षा निश्चित तौर तरीके से समझाया गया ज्ञान शिक्षा प्राप्त करने हेतु संसद टीवी चैनल भी देखें बहुत बहुत धन्यवाद साधुवाद ग्रेटर नोएडा से प्रभाकर शर्मा 🚩🕉️🌞🙏🙏🐕🌿☘️🌱👍💓👍
@PrabhakarSharma-qg4ov
@PrabhakarSharma-qg4ov Күн бұрын
ॐ नमः शिवाय 🚩🕉️🌞🙏🙏📙
@indrajeetsingh7617
@indrajeetsingh7617 Күн бұрын
Very nice content
@PrabhakarSharma-qg4ov
@PrabhakarSharma-qg4ov Күн бұрын
आचार्य जी सादर नमस्ते 🙏🙏🚩🕉️🌞🙏🙏
@foundingtitan7
@foundingtitan7 Күн бұрын
🙏
@user-rl3fx5zu4x
@user-rl3fx5zu4x Күн бұрын
सादर नमस्ते आचार्य जी।
@jogendra429
@jogendra429 Күн бұрын
दयानंद जी के बारे में आपका पूरा ज्ञान है कौन थे पीछे जाकर देखिये