आचार्य भगवंत नमोस्तु गुरुदेव नमोस्तु कोटी कोटी नमन🙏🙏🙏
@PankajJain-c4eКүн бұрын
Jis vayati ko bhashha samiti ka gyan nahi vo apne aap ko sabse mahan samajh raha hai dhanwano ko pata kar tirth vjksit karne se koi mahan nahi ban jata
@ashokjain6288Күн бұрын
Ashok jain Sangita jain Nandawata mandsaur se tri bar Namostu Namostu gurudevji
सुधासागर जी महराज जी ने गलत विश्लेशण किया।मै दिगंबर हूँ ।लेकिन मै पहले जैन हूँ अतह श्वेतांबर को भी मानूँगा।आप दोनो में भेद मनमुताव और गलतफहमी पैदा कर रहे है।क्या श्वेतांबर समाज की मूर्ती के दर्शन करने से मोक्ष का रास्ता भटक जायेगा।क्या श्वेतांबर समाज में उच्च कोटि के आचार्य नही हुए।अंतरिक्ष पार्श्वनाथ का गूगल पर जानकारी लो।चमत्कार तो श्वेतांबर में भी हुए है। श्वेताम्बर समाज हो या दिगंबर समाज 24 तीर्थंकर मूर्ती को दोनों पूजते हैं।नई पीढी को गलतफहमी में न डाला जाये।दौनों जैन है।वैसे भी जैन समाज की जनसँख्या कम है।अच्छा प्रश्न तो यह होना चाहिये कि जैन समाज की जनसँख्या कैसे बढ़े? जैन युवा न भटके और अन्तर्जातीय विवाह न करें उसके नियम बनाकर हर मन्दिर के आँगे बोर्ड देश भर में लगाये,, जिसे पढ़्कर युवा समाज में ही विवाह करें।दमोह में 2 जैन लडकियों ने मुस्लिम लड़के से शादी की।फिर ये अल्लाह को मानेंगी।बहुत से जैन लड़कियां दूसरी जाति में विवाह कर चलीं गई।ये दूसरी जाति के भगवान को मान रहीं हैं।इसको तो रोक नहीं पा रहे लेकिन श्वेतांबर मन्दिर में जाकर दर्शन करेंगे तो पाप लगेगा।ये सब useless बातें हैं।दूसरी जाति में शादी करेंगी इसकी अपेक्षा श्वेतांबर दिगंबर की शादी हुई हैं। दूसरी जाति वाले पैसा देकर जैन लडकियों को ले जाकर विवाह कर लिये।क्योंकि वे गरीब घर की थी ।मन्दिरों मे दान आता है।कलश की बोलियां लगती है।लेकिन धार्मिक सास्कृतिक कार्यक्रम आदि में खर्च हो जाता है।ये पैसा गरीबों की पढाई में खर्च होना चाहिये।ज्यादा मन्दिर बनाने की अपेक्षा शिक्षा के केंद्र बनाये जा सकते है।रोजगार दिये जा सकते हैं।लेकिन 400, 600 करोड़ 1 मन्दिर बनाने में खर्च हुए है।गरीब जैन समाज के उत्थान के लिये कोई योजना, guideline नहीं है।यदि बनाई है तो सही रूप से कार्य में परिणित नहीं किया जा रहा है।श्वेतांबर मूर्ती को दर्शन करने को मिल रहा है तो भी अच्छा है।अन्यथा उस दिन दर्शन ही नहीं कर पायेगा।