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गोंड आदिवासियों में देवता को चढ़ाया हुआ मुर्ग़ा घर नहीं ले जा सकते हैं. उस मुर्गे को वहीं पर पका कर सभी के साथ मिल कर खाना होता है. अक्सर जंगल में स्थापित अपने देव को मुर्गा चढ़ाने के लिए आदिवासी समूह में जाते हैं. वहीं पर देव को चढ़ाया गया मुर्गा पकाया और खाया जाता है. आज हम आपको मंडला ज़िले के गोंड आदिवासी समुदाय के एक गांव में यह पूरी प्रक्रिया दिखाएँगे.