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Katha 44
विचार वान गुरुमुखों सम्मुख शोभायमान श्री श्री 108 श्री हुजूर सतगुरु देव जी महाराज की पावन श्री दर्शन का महान लाभ प्राप्त करते हुए प्रेम सहित मिलकर बोलिए जयकारा बोल मेरे श्री गुरु महाराज की जय
आज हमारे हृदय सम्राट श्री श्री 108 श्री परमहंस सतगुरु
देव दाता दयाल जी श्री पंचम पातशाही जी महाराज
के शुभ राज तिलक दिवस आनंद महोत्सव को हम सभी गुरुमुखों ने सुबह पावन स्थान श्री परमहंस अद्वैत मंदिर में फिर विशेष रूप से श्री आनंद शांति कुंज में श्री हुजूर सदगुरु देव जी महाराज के पावन सानिध्य में पूर्ण हर्षोलास के साथ
मनाया और अब परम पावन श्री दर्शन करते हुए
इस दिव्य सत्संग भवन में भी मना रहे हैं
इन उपकार के लिए हम सभी गुरुमुख जन अपने
श्री हुजूर सतगुरु देव जी महाराज के पावन
चरण कमलों में बारंबार नमन करते हैं ...
और इस दुर्लभ संयोग की आप सभी गुरमुख
को लाखों लाख बधाई हो...
गुरुमुखों हमारे परम आराध्य देव श्री सदगुरु देव दाता दयाल जी महाराज ने जो जो उपकार किए उनसे गुरुमुख जन वाकिफ ही है
हर कोई अपने अंतर में झांक कर देख सकता है कि पावन स्वरूप में वाणी में और कार्य शैली में कैसा विलक्षण आकर्षण था... कि श्री सदगुरु देव जी महाराज ने हम सब पर कृपा करके हमें अपने चरणों से लगाया और हमारा हाथ पकड़कर भक्ति के इस कल्याणकारी रास्ते पर हमें चलाया
गुरुमुख जन जानते ही हैं कि श्री सदगुरु देव जी महाराज के पावन दर्शन में, वाणी में एक अनूठा अपनापन था दिव्य केज से आलोकित मुखारविंद पर हर समय एक अनूठी मुस्कान रहती थी और गुरुमुखों के प्रेम को निहार कर श्री सतगुरु देव जी महाराज जब अपनी खुशी को जाहिर ना कर पाते तो उस समय, अपने मुख पर रुमाल रखकर मुस्कुराते थे
उसी मुस्कान पर बलिहार गुरमुख जन
भक्ति भाव से प्रेम भरी यह विनती
करते कि आपकी मुस्कुराहट ने हमारे होश ही
उड़ा दिए जब हम होश में आने लगे आप फिर
मुस्कुरा दिए..
गुरुमुखों... कहते तो हैं कि मां अपने बच्चे से बहुत प्यार
करती लेकिन हकीकत यह है कि मां अपने बच्चे
से प्यार से भी ज्यादा प्यार यानी दुलार
करती है और वही दुलार श्री सतगुरु देव जी
महाराज ने हम सबको दिया... किसी के भी अवगुण को निहारे
बिना सभी पर अपनी कृपा बरसाई सबकी संभाल की सबको भक्ति के नियमों की पालना में दृढ़ किया और यह दर्शा दिया
कि सतगुरु ही समर्थ है
जिस विधि से श्री सतगुरु देव जी महाराज
ने एक एक गुरुमुख को प्रेम भक्ति से भरपूर
किया वह अतुलनीय है अकथनिय है अवर्णनीय
है... गुरुमुखों... किसी भेद को उजागर करने के लिए महापुरुष
कभी कोई रचना रचा देते हैं
एक बार श्री प्रयाग धाम में एक महात्मा जी ने सत्संग में इस तरह से वर्णन किया कि.. आग लगी आकाश में झर झर पड़त अंगार... श्री परमहंस ना होते जगत में में तो जल मरता
संसार
उसी समय श्री सतगुरु देव जी महाराज
ने यह पावन वचन फरमाए कि क्यों ना होते
श्री परमहंस ...जगत के दुख कष्ट उठाने के लिए सभी
को सुखी बनाने के लिए ही श्री परमहंस
महापुरुष अवतरित हुए हैं और यह सृष्टि और
आप सब गुरमुख जन श्री परमहंस दयाल जी
महाराज की कृपा से ही बचे हुए हो
गुरुमुखों सच है कि महापुरुषों की कार्यवाही
को नहीं समझा जा सकता आम इंसान को अपने सिर दर्द से
छुटकारा पाने के लिए भी दवाई की जरूरत
पड़ती है लेकिन महापुरुष किस तरह से कार्य
करते हैं वह सब समझ से परे की बात है
कुछ समय पहले हमारे श्री हुजूर सदगुरु देव
जी महाराज ने अपने पावन प्रवचनों में यह
फरमाया कि महापुरुषों की कार्यवाही को जीव
नहीं समझ सकता उनकी कार्यवाही को समझने की नहीं
बल्कि उनके वचनों की पालना करने की जरूरत
है उसी में सबका भला है उसी में हित है उसी में कल्याण है
सन 2009 की बात है जब हमारे श्री सदगुरु देव दाता दयाल जी श्री पंचम बादशाही जी
महाराज मुंबई के अमरधाम आश्रम में विराजमान थे
रात के करीब एक बजे अचानक आसमान में बिजली कड़कने लगी और
बहुत जबरदस्त बारी शुरू हो
गई हमारे पूजनीय महात्मा
जी श्रीमान महात्मा दर्शन अलकानंद जी
उठे और धीरे-धीरे यह कहने लगे कि श्री गुरु महाराज जी दया करें श्री गुरु महाराज जी दया करें.. फिर यह कहा कि भजन पर बैठ जा और यह कहकर वे खुद भी भजन के लिए बैठ गए ...लगातार तेज बारिश हो रही
थी और आसमान में चमकती हुई
बिजली और बादलों की गड़गड़ाहट से दिल
कांपने लगा करीब डेढ़ बजे आदरणीय महात्मा जी
श्रीमान महात्मा योग नित्यानंद जी वहां आए
और बताया कि श्री सदगुरु देव जी महाराज भजन
के लिए विराजमान हो गए हैं और फरमाया है
कि जाकर देखो जो कोई भी जाग रहा हो उसे
कहो कि भजन पर बैठ
जाए करीब 2 बजकर 10 मिनट
पर बिजली कड़कनी बंद हो गई और करीब ढाई
बजे बारिश भी रुक गई
कहने का भाव यह है कि महापुरुषों की
कार्यवाही को समझा नहीं जा
सकता बल्कि उनकी हर कार्यवाही में भक्ति
की नाम स्मरण की ही प्रेरणा मिलती है
इसलिए उनके वचनों की पालना करने की जरूरत है वही महाप्रभु अब श्री हुजूर सदगुरु देव
जी महाराज के पावन स्वरूप में सम्मुख शोभा
मान सबकी संभाल कर रहे हैं और सभी को अपने शुभ आशीर्वाद से निहाल कर रहे...