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ग़ालिब की शायरी को जीने के लिए अगर थिएटर या रंगमंच से किसी का नाम लेना हो, तो उनमें सबसे आगे टॉम ऑल्टर का नाम होगा... टॉम साहब अब इस दुनिया में नहीं है... इंतकाल से चंद रोज पहले उन्होंने ग़ालिब की पुरानी दिल्ली से हिंदी फर्स्टपोस्ट के लिए शो किया था.. ग़ालिब के साथ उन्होंने मीर और दाग़ की शायरी पर भी चर्चा किस्सागोई विद टॉम में की थी... शेर-ओ शायरी पसंद करने वालों को यह वीडियो जरूर देखना चाहिए