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रश्मिरथी के इस सर्ग में भगवान श्री कृष्ण जब दुर्योधन को चेतावनी देकर राज्यसभा से निकलते हैं, तो उन्हें बाहर कर्ण मिल जाता है। उस समय भगवान श्री कृष्ण और कर्ण के बीच जो संवाद हुआ है, उसे राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने अपने खंडकाव्य रश्मिरथी के तृतीय सर्ग में वर्णित किया है।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित यह खंडकाव्य कर्ण के जीवन पर आधारित है। इसके समस्त सर्गों में राष्ट्रकवि, कर्ण की जीवन की विभिन्न घटनाओं को सम्मिलित करते हैं। राष्ट्रकवि ने बहुत ही मार्मिक ढंग से सभी दृश्यों को शब्दों के माध्यम से हमारे समक्ष उकेर दिया है।
रश्मिरथी - राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर
स्वर - महिम तिवारी
रश्मिरथी के अन्य भाग :-
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कृष्ण की चेतावनी :-
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घटोत्कच - कर्ण युद्ध :-
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