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रश्मिरथी के इस सर्ग में कर्ण और उसकी माता कुंती के बीच का संवाद है। जब युद्ध निर्धारित हो जाता है तो माता कुंती को कर्ण या अर्जुन दोनों में से किसी एक की मृत्यु की चिंता सताती है। अतः वह कर्ण के पास यह प्रस्ताव लेकर जाती हैं कि वह पांडवों का बड़ा भाई है और वह पांडवों के साथ मिल जाए। पांडवों के विरुद्ध युद्ध ना करे। इस घटना को राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर बहुत ही अद्भुत शब्दों में वर्णित करते हैं।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित यह खंडकाव्य कर्ण के जीवन पर आधारित है। इसके समस्त सर्गों में राष्ट्रकवि, कर्ण की जीवन की विभिन्न घटनाओं को सम्मिलित करते हैं। राष्ट्रकवि ने बहुत ही मार्मिक ढंग से सभी दृश्यों को शब्दों के माध्यम से हमारे समक्ष उकेर दिया है।
रश्मिरथी - राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर
स्वर - महिम तिवारी
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