कुबेर देव का प्रभावशाली मंत्र: ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय। Kuber Mantra Yakshaya Kuberaya.

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MANTRA SHAKTI AUR SAMADHAN

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5 күн бұрын

कुबेर देव का अमोघ मंत्र: ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्य समृद्धिम् मे देहि देहि दापय स्वाहा॥
कुबेर के मंत्र Kuber ka Mantra Yakshaya Kuberaya#mantra#latest
धन के रक्षक देवता कुबेर के बारे में जानकारी
कुबेर : एक हिन्दू पौराणिक पात्र हैं जो धन के स्वामी (धनेश) व धनवानता के देवता माने जाते हैं। वे यक्षों के राजा भी हैं। वे उत्तर दिशा के दिक्पाल हैं और लोकपाल (संसार के रक्षक) भी हैं। इनके पिता महर्षि विश्रवा थे और माता देववर्णिणी थीं।
अन्य नाम: धनेश्वर , वैश्रावण , भद्राकान्त , देववर्णिणीनन्दन , यक्षेश्वर धनदाय आदि
निवासस्थान : लंका और बाद में अलकापुरी
मंत्र :
अस्त्र : गदा
जीवनसाथी : भद्रा
संतान : नलकुबेर, मणिभद्र, गंधमादन
सवारी: वराह (देशी सुअर), नकुल (नेवला)
भाई- बहिन: इनके सौतेले छोटे भाई रावण , कुम्भकर्ण और विभीषण थे। इनमें रावण ही बाद में असुरों का सम्राट बना।सूर्पनखा इनकी सौतेली बहिन थी।
कुबेर से संबंधित कथाएं।
१. रामायण की कहानी: इस श्राप के कारण कैद में रखने के बाद भी रावण माता सीता को छू नहीं पाया, जानें क्या है कहानी
आप जानते हैं कि रावण माता सीता को उठा ले गया था इसके बावजूद रावण ने उन्हें छुआ तक नही। आखिर क्या कारण था ?
उत्तरकांड में मिलता है इस श्राप का जिक्र
पौराणिक कथा के मुताबिक, भगवान शिव ने रावण की तपस्या से खुश होकर उसे वरदान जिसे पाकर रावण पहले से भी ज्यादा शक्तिशाली हो गया और तीनों लोकों को जीतने के लिए निकल पड़ा। त्रिलोक विजय अभियान के दौरान रावण स्वर्ग लोक पहुंचा और कुछ समय के लिए अपने भाई कुबेर के शहर अलका में विश्राम करने लगा।
नलकुबेर ने रावण को दिया था श्राप
एक दिन स्वर्ग की अप्सरा रंभा अपने होने वाले पति नलकुबेर से मिलने जा रही थी तभी रास्ते में उसे रावण मिल गया. रंभा (Rambha) की खूबसूरती देखकर रावण उस पर मोहित हो गया. रावण ने रंभा के साथ दुराचार करने की कोशिश की । रंभा ने रावण से कहा कि वह उसके भाई कुबेर के बेटे नलकुबेर की होने वाली पत्नी है और इस नाते उसकी पुत्रवधू के समान है । बावजूद इसके रावण ने रंभा के साथ दुराचार किया। यह बात जब नलकुबेर को पता चली तो उसने रावण को श्राप दिया कि अगर उसने किसी स्त्री की इच्छा के बिना उसे स्पर्श भी किया तो उसके मस्तक के सौ टुकड़े हो जाएंगे।
2. कुबेर के संबंध में लोकमानस में एक जन मान्यता प्रचलित है। कहा जाता है कि पूर्वजन्म में कुबेर चोर थे-चोर भी ऐसे कि देव मंदिरों में चोरी करने से भी बाज न आते थे। एक बार चोरी करने के लिए एक शिव मंदिर में घुसे। तब मंदिरों में बहुत माल-खजाना रहता था। उसे ढूंढने-पाने के लिए कुबेर ने दीपक जलाया लेकिन हवा के झोंके से दीपक बुझ गया।
कुबेर ने फिर दीपक जलाया, फिर वह बुझ गया। जब यह क्रम कई बार चला, तो भोले-भाले और औघड़दानी शंकर ने इसे अपनी दीपाराधना समझ लिया और प्रसन्न होकर अगले जन्म में कुबेर को धनपति होने का आशीष दे डाला।
कुबेर को यक्ष भी कहा गया है। यक्ष धन का रक्षक ही होता है, उसे भोगता नहीं। कुबेर का जो दिक्पाल रूप है, वह भी उनके रक्षक और प्रहरी रूप को ही स्पष्ट करता है। पुराने मंदिरों के वाह्य भागों में कुबेर की मूर्तियां पाए जाने का रहस्य भी यही है कि वे मंदिरों के धन के रक्षक के रूप में कल्पित और स्वीकृत हैं।
आज यहां हम कुबेर देव के ऐसे प्रभावशाली मंत्रों के बारे में बात करने जा रहे हैं जिनके जाप से जीवन में दरिद्रता दूर होने की मान्यता है।
ये मंत्र इस प्रकार है-
१. कुबेर देव का अमोघ मंत्र:
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्य समृद्धिम् मे देहि देहि दापय स्वाहा॥
२. अष्टलक्ष्मी कुबेर मंत्र- ये मंत्र माता लक्ष्मी और कुबेर देवता का मंत्र है। । इस मंत्र की साधना मुख्य रूप से शुक्रवार की रात को करना शुभ माना गया है। मंत्र इस प्रकार है-
अष्टलक्ष्मी कुबेर मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनम्
पुरय पुरय नमः॥
३. धन प्राप्ति हेतु कुबेर मंत्र- इस मंत्र के जप से व्यक्ति को सभी भौतिक सुख प्राप्त होते हैं। धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती। ऐसे में अगर आप कुबेर देव के धन प्राप्ति मंत्र का नियमित जाप करते हैं तो आपको कभी भी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ेगा। मंत्र इस प्रकार है-
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥
४. ॐ वैश्रवणाय नमः
५. ॐ श्रीं कुबेराय नमः
उपरोक्त मंत्रों का अगर जाप संभव नहीं हो सके तो उनके सुनने मात्र से भी आर्थिक स्थिति बेहतर होने लग जाती है।
६. कुबेर यंत्र
ज्योतिष शास्त्र में कुबेर यंत्र बहुत ही प्रभावशाली माना गया है। माना जाता है कि इस यंत्र की साधना करने से धन के देवता कुबेर प्रसन्न होते हैं और घर में सुख- शाति समृद्धि का वास रहता है।
इस यंत्र को तिजोरी , अलमारी में या घर के पूजन स्थल पर पूर्व दिशा में बुधवार या शुक्रवार के दिन स्थापित करना चाहिए। इसके अलावा विजयदशमी, धनतेरस, दीपावली और रविपुष्य नक्षत्र के दिन भी इस यंत्र को स्थापित करना शुभ माना जाता है। इस यंत्र की स्थापना शुक्रवार के दिन अमृत सिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग में कर सकते हैं।
कुबेर यंत्र को स्थापित करके रोग कुबेर जी के नीचे दिए गए बीज मंत्रों में से किसी भी एक बीज मंत्र का बीज मंत्र - ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम: का 11 या 21 बार जाप जरूर करें। ऐसा करने से यंत्र का प्रभाव बना रहता है
ABOUT MANTRA
LYRICS - TREDITIONAL
SINGER - PANDIT H S SHARMA
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