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चाहे रेल दुर्घटना के बाद उनका रेल मंत्री के पद से इस्तीफ़ा हो या 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में उनका नेतृत्व या फिर उनका दिया गया जय जवान जय किसान का नारा, लालबहादुर शास्त्री ने सार्वजनिक जीवन में श्रेष्ठता के जो प्रतिमान स्थापित किए हैं, उसके बहुत कम उदाहरण मिलते हैं. लालबहादुर शास्त्री की वर्षगांठ के अवसर पर रेहान फ़ज़ल याद कर रहे हैं उनके जीवन से जुड़े कुछ नायाब पहलू.
तस्वीरें: गेटी इमेज़स, रायटर्स, ईपीए, बीबीसी