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पावागढ़ जैन मन्दिर जहां माँ काली नित्य चिंतामणि वीर का पूजन करने आती हैं, साथ ही बरसो की साधना के पश्चात श्री चन्द्रो विजयजी महारासहाब के द्वारा प्रभु मणिभद्र दादा की मूरत स्थापित की गयी हैं, जो कि विश्व की एक मात्र इस प्रकार की मूरत हैं।
साथ ये एक मात्र विश्व का मन्दीर हैं जहां धर्म के साथ शिक्षा और जीव दया हेतु विद्यालय एवम गौ शाला का निर्माण भी किया गया है। यहां भोग में सुकड़ी और श्रीफल ही प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता हैं।
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