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परिवार संबंध से असन्तुष्ट | मृत्यु का भय| योगी बुद्धि प्रकाश |

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Brahmavidya

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Күн бұрын

जय गुरुदेव
भारतीय दर्शनशास्त्रों के अनुसार प्राचीन काल में ऋषियों ने स्वयं की खोज की और पाया कि स्वयं शरीर नहीं है परंतु शरीर के अंदर स्थित आत्मा-जो निराकार है-उनका मूल स्वरूप है। आत्मा को जानने की इस प्रक्रिया को आत्मसाक्षात्कार के नाम से जाना जाता है। आत्मा के साक्षात्कार हेतु योग, ज्ञान, भक्ति आदि पद्धतियाँ प्रचलित हैं जिसका आविर्भाव प्राचीन काल में हुआ है। ऋषियों ने स्वयं को जानकर अपने जन्मांतर के ज्ञान की भी प्राप्ति की और पाया कि उनके कई जन्म थे। स्वयं का मूल स्वरूप आत्मा जिसकी कभी मृत्यु नहीं होती; ये पहले था, आज है और कल भी रहेगा। शरीर के मृत्यु के बाद जीवात्मा पुनः जन्म धारण करता है और ये चक्र चलता ही रहता है। पुनर्जन्म का कारण सांसारिक पदार्थों में आसक्ति आदि है। जब व्यक्ति साधना के बल पर सांसारिक दुविधाओं से मुक्त होकर स्वयं को जान लेता है तब जन्म की प्रक्रिया से भी मुक्ति पा लेता है। फिर भी अपनी स्वेच्छा से जन्म धारण कर सकता है। मूल रूप से सभी को अपने पूर्व के जन्मों की विस्मृति हो जाती है। योग आदि क्रियाओं से आत्मा को जानकर ध्यान में पूर्व के जन्मों के ज्ञान की प्राप्ति हो सकती है। ज्ञानी पुरुष दूसरों के जन्मांतर के विषय में भी बता सकते हैं अतः ऐसे सदगुरु से भी पूर्वजन्म के ज्ञान की प्राप्ति हो सकती है। पुराण आदि में भी जन्म और पुनर्जन्मों का उल्लेख है जिससे अमुक व्यक्तियों के पूर्वजन्म के विषय में जानकारी मिलती है। कभी बाल्यकाल में किसी बालक को पूर्वजन्म का ज्ञान होने के प्रसंग भी सामने आए हैं।
पुनर्जन्म एक भारतीय सिद्धांत है जिसमें जीवात्मा के जन्म और मृत्यु के बाद पुनर्जन्म की मान्यता को स्थापित किया गया है। विश्व के सब से प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद से लेकर वेद, दर्शनशास्त्र, पुराण, गीता, योग आदि ग्रंथों में पूर्वजन्म की मान्यता का प्रतिपादन किया गया है। इस सिद्धांत के अनुसार शरीर का मृत्यु ही जीवन का अंत नहीं है परंतु जन्म जन्मांतर की श्रृंखला है। 84 लाख या 84 लाख प्रकार की योनियों में जीवात्मा जन्म लेता है और अपने कर्मों को भोगता है। आत्मज्ञान होने के बाद जन्म की श्रृंखला रुकती है; फिर भी आत्मा स्वयं के निर्णय, लोकसेवा, संसारी जीवों को मुक्त कराने की उदात्त भावना से भी जन्म धारण करता है। इन ग्रंथों में ईश्वर के अवतारों का भी वर्णन किया गया है। पुराण से लेकर आधुनिक समय में भी पुनर्जन्म के विविध प्रसंगों का उल्लेख मिलता है।
भगवद गीता
भगवद गीता अध्याय 1
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भगवद गीता अध्याय 3
भगवद गीता अध्याय 11
भगवत गीता
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16 अध्याय भगवद गीता
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@sanjayvermasanjayverma2660
@sanjayvermasanjayverma2660 7 ай бұрын
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@Dineshkumar-st7gb
@Dineshkumar-st7gb 6 ай бұрын
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