श्री सत्यनारायण देव कथा = SHRI SATYNARAYAN DEV KATHA

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Eternal Dharma-सनातन धर्म -हिन्दू संस्कृति

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8 ай бұрын

श्री सत्यनारायण देव कथा
एक समय की बात हैनैिषरण तीथरमेशौिनकािद, अठासी हजार ऋिषयो नेशी सूतजी सेपूछा हेपभु! इस किलयुग मेवेद िवदा रिहत मनुषो को
पभुभिक िकस पकार िमल सकती है? तथा उनका उदार कै सेहोगा? हेमुिन शेष ! कोई ऎसा तप बताइए िजससेथोडेसमय मेही पुण िमले
और मनवांिछत फल भी िमल जाए. इस पकार की कथा सुननेकी हम इचा रखतेहै. सवरशासो के जाता सूत जी बोले - हेवैषवो मेपूज !
आप सभी नेपािणयो के िहत की बात पूछी हैइसिलए मैएक ऎसेशेष वत को आप लोगो को बताऊँ गा िजसेनारद जी नेलकीनारायण जी से
पूछा था और लकीपित नेमुिनशेष नारद जी सेकहा था. आप सब इसेधान सेसुिनए -
एक समय की बात है, योगीराज नारद जी दूसरो के िहत की इचा िलए अनेको लोको मेघूमतेहए मृतुलोक मेआ पहंचे. यहाँउनोनेअनेक
योिनयो मेजनेपाय: सभी मनुषो को अपनेकमो दारा अनेको दुखो सेपीिडत देखा. उनका दुख देख नारद जी सोचनेलगेिक कै सा यत िकया
जाए िजसके करनेसेिनिशत रप सेमानव के दुखो का अंत हो जाए. इसी िवचार पर मनन करतेहए वह िवषुलोक मेगए. वहाँवह देवो के ईश
नारायण की सुित करनेलगेिजनके हाथो मेशंख, चक, गदा और पद थे, गलेमेवरमाला पहनेहए थे.
सुित करतेहए नारद जी बोले - हेभगवान! आप अतंत शिक सेसंपन है, मन तथा वाणी भी आपको नही पा सकती है. आपका आिद, मध
तथा अंत नही है. िनगुरण सरप सृिष के कारण भको के दुख को दूर करनेवालेहै, आपको मेरा नमसार है. नारद जी की सुित सुन िवषु
भगवान बोले - हेमुिनशेष! आपके मन मेका बात है? आप िकस काम के िलए पधारेहै? उसेिन:संकोच कहो. इस पर नारद मुिन बोलेिक
मृतुलोक मेअनेक योिनयो मेजनेमनुष अपनेकमो के दारा अनेको दुख सेदुखी हो रहेहै. हेनाथ! आप मुझ पर दया रखतेहैतो बताइए िक वो
मनुष थोडेपयास सेही अपनेदुखो सेकै सेछुटकारा पा सकतेहै.
शीहिर बोले - हेनारद! मनुषो की भलाई के िलए तुमनेबहत अची बात पूछी है. िजसके करनेसेमनुष मोह सेछूट जाता है, वह बात मैकहता
हँउसेसुनो. सगरलोक व मृतुलोक दोनो मेएक दुलरभ उतम वत हैजो पुणय देनेवाला है. आज पेमवश होकर मैउसेतुमसेकहता हँ.
शीसतनारायण भगवान का यह वत अची तरह िवधानपूवरक करके मनुष तुरंत ही यहाँसुख भोग कर, मरनेपर मोक पाता है.
शीहिर के वचन सुन नारद जी बोलेिक उस वत का फल का है? और उसका िवधान का है? यह वत िकसनेिकया था? इस वत को िकस िदन
करना चािहए? सभी कु छ िवसार सेबताएँ. नारद की बात सुनकर शीहिर बोले - दुख व शोक को दूर करनेवाला यह सभी सानो पर िवजय
िदलानेवाला है. मानव को भिक व शदा के साथ शाम को शीसतनारायण की पूजा धमरपरायण होकर बाहणो व बंधुओ ंके साथ करनी चािहए.
भिक भाव सेही नैवेद, के लेका फल, घी, दूध और गेहँका आटा सवाया ले. गेहँके सान पर साठी का आटा, शकर तथा गुड लेकर व सभी
भकण योग पदाथो को िमलाकर भगवान का भोग लगाएँ.
बाहणो सिहत बंधु-बाँधवो को भी भोजन कराएँ, उसके बाद सयं भोजन करे. भजन, कीतरन के साथ भगवान की भिक मेलीन हो जाएं. इस तरह
सेसत नारायण भगवान का यह वत करनेपर मनुष की सारी इचाएँिनिशत रप सेपूरी होती है. इस किल काल अथारत किलयुग मेमृतुलोक
मेमोक का यही एक सरल उपाय बताया गया है.
।। इित शी सतनारायण वत कथा का पथम अधाय संपूणर।।

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