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इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के जस्टिस अजय लांबा और जस्टिस संजय हरकौली की खंडपीठ ने एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम में दर्ज एफआईआर को रद्द करने वाली एक याचिका पर एक अहम फैसला सुनाया...कोर्ट ने साफ किया कि जिन मामलों में अपराध सात वर्ष से कम सजा योग्य हो, उनमें बिना नोटिस गिरफ्तारी नहीं की जा सकती है। यह आदेश संसद में एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के बाद 19 अगस्त 2018 को दर्ज एफआईआर के मामले में दिया गया है.. जस्टिस अजय लांबा व जस्टिस संजय हरकौली की बेंच ने कहा कि जिन मामलों में अपराध सात वर्ष से कम सजा योग्य हो, उनमें बिना नोटिस गिरफ्तारी नहीं की जा सकती है। इस ऐसे मामले में गिरफ्तारी से पहले अरनेश कुमार बनाम बिहार राज्य के केस में सुप्रीम कोर्ट के 2014 के लिये फैसले का पालन किया जाए। ऐसे मामलों में पहले आरोपी को नोटिस देकर पूछताछ के लिए बुलाया जाए। यदि वह नोटिस की शर्तों का पालन करता है तो उसे विवेचना के दौरान गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
Anchor- Kavindra Sachan
Guest - PK Malhotra, Former Member, Law Commision Of India & Former Secretary, Ministry of Law and Justice,GoI
Satya Prakash, Legal Editor, The Tribune
Dr. Justice Satish Chandra, Former Judge Allahabad High Court