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जिस प्रकार से एक कीड़े जैसा Larva, तितली बनता है, उसी प्रकार से मनुष्य को भी चेतना के स्तर पर विकसित होना चाहिए । एक बच्चा जब जन्म लेता तब वह एक बन्द डिब्बे के समान होता है, जिसकी पूर्ण प्रतिभा को योग और ध्यान के माध्यम से जागृत करना आवश्यक है, अन्यथा यह जीवन व्यर्थ बीत जाता है।
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