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"स्वास्तिक चिन्ह की महिमा"
स्वास्तिक एक ऐसा प्रतीक चिन्ह है जिसे आदिकाल से सनातन धर्म में बहुत महत्व प्राप्त है। हमारे हर त्यौहार और उत्सवों पर हम स्वास्तिक चिन्ह जरूर लगाते हैं। स्वास्तिक की इतनी महिमा है कि इसे कई देशों और धर्मों के लोग प्रयोग में लेते हैं।
स्वस्ति का अर्थ होता है, कल्याण या मंगल। इसी प्रकार स्वस्तिक का अर्थ होता है, कल्याण या मंगल करने वाला। स्वस्तिक एक विशेष आकृति है , जिसको किसी भी कार्य की शुरुआत के पूर्व बनाया जाता है। माना जाता है कि यह चारों दिशाओं से शुभ और मंगल को आकर्षित करता है। चूँकि इसको कार्य की शुरुआत और मंगल कार्य में रखते हैं, अतः यह भगवान गणेश का रूप भी माना जाता है। माना जाता है कि इसके प्रयोग से सम्पन्नता, समृद्धि और एकाग्रता की प्राप्ति होती है। जिस पूजा उपासना में स्वस्तिक का प्रयोग नहीं होता, वह पूजा लम्बे समय तक अपना प्रभाव नहीं रख पाती।
स्वास्तिक चिन्ह के बारे में बहुत महत्वपूर्ण जानकारी इस वीडियो में आपको मिलेगी। जैसे:
स्वास्तिक चिन्ह का अर्थ
स्वास्तिक का सनातन के अतिरिक्त अन्य धर्म में प्रयोग
स्वास्तिक चिन्ह का विभिन्न देशों में प्रयोग
पूजा पाठ में मकान दुकान में स्वास्तिक चिन्ह क्यों बनाते हैं?
स्वास्तिक चिन्ह का गणेश जी से क्या संबंध है?
आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि यह जानकारी आपको बहुत अच्छी लगी होगी। इसको अधिक से अधिक लोगों में शेयर करें और अपने सनातन धर्म के इस शुभ मंगल प्रतीक चिन्ह के बारे में जानकारी लोगों को प्रदान करें।
बहुत बहुत धन्यवाद।
डॉ आर के पाठक "मयंक"
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