एक सुआन दुई सुआनी नाल, भलके भौंकही सदा बिआल। कुड़ छुरा मुठा मुरदार, धाणक रूप रहा करतार।।1।। मै पति की पंदि न करनी की कार। उह बिगड़ै रूप रहा बिकराल।। तेरा एक नाम तारे संसार, मैं ऐहा आस एहो आधार। मुख निंदा आखा दिन रात, पर घर जोही नीच मनाति।। काम क्रोध तन वसह चंडाल, धाणक रूप रहा करतार।।2।। फाही सुरत मलूकी वेस, उह ठगवाड़ा ठगी देस।। खरा सिआणां बहुता भार, धाणक रूप रहा करतार।।3।। मैं कीता न जाता हरामखोर, उह किआ मुह देसा दुष्ट चोर। नानक नीच कह बिचार, धाणक रूप रहा करतार।।4।।
@lyricallysikh16 жыл бұрын
This shabad is by Guru Nanak Dev Ji. Here is the translation to better understand the shabad: ਯਕ ਅਰਜ ਗੁਫਤਮ ਪੇਸਿ ਤੋ ਦਰ ਗੋਸ ਕੁਨ ਕਰਤਾਰ ॥ I speak in your ear, beseeching you, Lord ਹਕਾ ਕਬੀਰ ਕਰੀਮ ਤੂ ਬੇਐਬ ਪਰਵਦਗਾਰ ॥੧॥ You are True, Great, Merciful and perfect ||1|| ਦੁਨੀਆ ਮੁਕਾਮੇ ਫਾਨੀ ਤਹਕੀਕ ਦਿਲ ਦਾਨੀ ॥ The world is evanescent; know this for sure ਮਮ ਸਰ ਮੂਇ ਅਜਰਾਈਲ ਗਿਰਫਤਹ ਦਿਲ ਹੇਚਿ ਨ ਦਾਨੀ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ Azraa-eel, the Messenger of Death, has me by the hair on my head, and yet, I am oblivious ||Reflect|| ਜਨ ਪਿਸਰ ਪਦਰ ਬਿਰਾਦਰਾਂ ਕਸ ਨੇਸ ਦਸਤੰਗੀਰ ॥ Your wife, your children, your father, your brothers; none of them will be there to hold your hand. ਆਖਿਰ ਬਿਅਫਤਮ ਕਸ ਨ ਦਾਰਦ ਚੂੰ ਸਵਦ ਤਕਬੀਰ ॥੨॥ As I fall, and the final prayers are said for me, none shall rescue me. ||2|| ਸਬ ਰੋਜ ਗਸਤਮ ਦਰ ਹਵਾ ਕਰਦੇਮ ਬਦੀ ਖਿਆਲ ॥ Day and Night, I have wandered around in greed, hatching evil schemes. ਗਾਹੇ ਨ ਨੇਕੀ ਕਾਰ ਕਰਦਮ ਮਮ ਈਬ਼ ਚਿਨੀ ਅਹਵਾਲ ॥੩॥ Never doing good; this is my unfortunate state. ||3|| ਬਦਬਖਤ ਹਮ ਚੁ ਬਖੀਲ ਗਾਫਿਲ ਬੇਨਜਰ ਬੇਬਾਕ ॥ I am ill-fated, slanderous and negligent, shameless and bereft of the fear of God. ਨਾਨਕ ਬੁਗੋਯਦ ਜਨੁ ਤੁਰਾ ਤੇਰੇ ਚਾਕਰਾਂ ਪਾ ਖਾਕ ॥੪॥੧॥ Says Nanak, I am your humble servant, the very dust of the feet of your servants. ||4||1|| ***This shabad is also sung by Bhai Dharam Singh Zakhmi and Jatha: www.gurmatsangeetproject.com/Recordings/Dharam%20Singh%20Zakhmi%205/Bhai.Dharam.Singh.Zakhmi--Yak.Arz.Guphtam.Pes.To.Dar.Gos.Kun.Kartaar.mp3
@jaswindersingh13233 жыл бұрын
Excellent thanks for comment
@harrysingh11953 жыл бұрын
Thanks waheguru for keeping us alive To listen Gurbani
@rajendrasinghans59323 жыл бұрын
SATNAM SHRI WAHEGURUJI SAHIB JIO ❤💎
@reality59327 жыл бұрын
beautiful
@harrysingh11953 жыл бұрын
Waheguru bless everyone
@jaswinderahluwalia Жыл бұрын
Composition of Bhai Dharam Singh Zakhmi early 70s .Well delivered by Bhai Sahib Bhai Shant Ji
@Jay-fg1gi8 жыл бұрын
very good ):
@hgs6010 жыл бұрын
Excellent seva. Minor correction, please change the Ragis name to Bhai Gurmeet Singh Shant. Thanks
@captainpratap94586 жыл бұрын
कौन करतार धाणक रूप में रहा ??? विचार करें _/\_
@captainpratap94586 жыл бұрын
सरलार्थ:-- हे (कुन करतार)करन कत्र्ता (गोश)निर्गुणी जिन्द संत (करीम)दयालु (हक्का कबीर)सतकबीर (तू)आप (बेएब परवदगार) निर्विकार परमात्मा है। (पेश तो दर)आप के समक्ष (यक)एक (अर्ज गुफ्तम)हृदय से विनती है कि (दिलदानी)हे महबुब(दूनियाँ मुकामे) यह संसार रूपी ठिकाना (फानी) नाशवान है। (तहकीक) यह पूरी तरह जान लिया है। (दानी)हे दाता(मम सर मुई) इस जीव के मरने पर (अजराईल) अजराईल नामक यम दूत (गीरफ्त दिल हेच न)बेरहमी से पकड़ कर ले जाता है (कस) कोई (दस्तं गीर) साथी (पिसर) जैसे बेटा (पदर) पिता (बिरादराँ) भाईचारा (नेस्तं) साथ नहीं देता। (आखिर) अन्त में (बयफ्तम) सभी उपाय और (तकबीर) फर्ज (कस) कोई क्रिया (नदारद चूँ शब्द)काम नहीं आता। (शबरोज) प्रतिदिन (गशतम) गश्त की तरह न रूकने (दर हवा) वाली चलती हुई वायु (बदी ख्याल)की तरह बुरे विचार (करदेम) करते रहते हैं। (नेकी कार)शुसुभ कर्म (करदम)करने का (मम ई)मुझे (चिनी) कोई (अहवाल) जरीया या साधन (गाहे न) नहीं मिला। (बदबख्त) ऐसे बुरे समय में कलियुग में (हम चु) हमारे जैसे (बखील) नादान (गाफिल) लापरवाह (बेनजर)सत मार्ग का ज्ञान न होने से अंधे (बेबाक)गुंगे थे।
@devinder5144 жыл бұрын
SHabad is not refering to Saint Kabir। Idiot follower of Rampal Thug
@captainpratap94586 жыл бұрын
een God Kabir & Guru Nanak Dev Ji - Kabir Sagar Evidence in Kabir Sagar Special Consideration:- There is no evidence in the entire Guru Granth Sahib that God Kabir Ji was Guruji of Shri Nanak ji. Like Guru Granth is respectable and authentic, similarly Holy Kabir Sagar is also respectable and authentic scripture and was written before Shri Guru Granth Sahib. Therefore around 4000 Bani has been taken in to Guru Granth Sahib from Kabir Sagar only. There is a vivid description about the dialogue between God Kabir Ji and Nanak ji in Kabir Sagar and that the venerable Gurudev of Nanak ji were God Kabir.Please read below For special reference, excerpt from Kabir Sagar (Swasam bed bodh) Page no. 158 - 159:- नानकशाह कीन्हा तप भारी। सब विधि भये ज्ञान अधिकारी।। भक्ति भाव ताको समिझाया। तापर सतगुरु कीनो दाया।। जिंदा रूप धरयो तब भाई। हम पंजाब देश चलि आई।। अनहद बानी कियौ पुकारा। सुनिकै नानक दरश निहारा।। सुनिके अमर लोककी बानी। जानि परा निज समरथ ज्ञानी।। नानक वचन (Nanak Speech) आवा पुरूष महागुरु ज्ञानी। अमरलोकी सुनी न बानी।। अर्ज सुनो प्रभु जिंदा स्वामी। कहँ अमरलोक रहा निजधामी।। काहु न कही अमर निजबानी। धन्य कबीर परमगुरु ज्ञानी।। कोई न पावै तुमरो भेदा। खोज थके ब्रह्मा चहुँ वेदा।। जिन्दा वचन (Jinda Speech) नानक तव बहुतै तप कीना। निरंकार बहुते दिन चीन्हा।। निरंकारते पुरूष निनारा। अजर द्वीप ताकी टकसारा।। पुरूष बिछोह भयौ तव जबते। काल कठिन मग रोंक्यौ तबते।। इत तव सरिस भक्त नहिं होई। क्यों कि परमपुरूष न भेटेंउ कोई।। जबते हमते बिछुरे भाई। साठि हजार जन्म भक्त तुम पाई।। धरि धरि जन्म भक्ति भलकीना। फिर काल चक्र निरंजन दीना।। गहु मम शब्द तो उतरो पारा। बिन सत शब्द लहै यम द्वारा।। तुम बड़ भक्त भवसागर आवा। और जीवकी कौन चलावा।। निरंकार सब सृष्टि भुलावा। तुम करि भक्तिलौटि क्यों आवा।। नानक वचन (Nanak Speech) धन्य पुरूष तुम यह पद भाखी। यह पद हमसे गुप्त कह राखी।। जबलों हम तुमको नहिं पावा। अगम अपार भर्म फैलावा।। कहो गोसाँई हमते ज्ञाना। परमपुरूष हम तुमको जाना।। धनि जिंदा प्रभु पुरूष पुराना। बिरले जन तुमको पहिचाना।। जिन्दा वचन (Jinda Speech) भये दयाल पुरूष गुरु ज्ञानी। दियो पान परवाना बानी।। भली भई तुम हमको पावा। सकलो पंथ काल को ध्यावा।। तुम इतने अब भये निनारा। फेरि जन्म ना होय तुम्हारा।। भली सुरति तुम हमको चीन्हा। अमर मंत्र हम तुमको दीन्हा।। स्वसमवेद हम कहि निज बानी। परमपुरूष गति तुम्हैं बखानी।। नानक वचन (Nanak Speech) धन्य पुरूष ज्ञानी करतारा। जीवकाज प्रकटे संसारा।। धनि करता तुम बंदी छोरा। ज्ञान तुम्हार महाबल जोरा।। दिया नाम दान किया उबारा। नानक अमरलोक पग धारा।।