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संविधान में निचली अदालत के बाद देश की सर्वोच्च अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट में दरवाज़ा खटखटाने का प्रावधान है और सुप्रीम कोर्ट से भी फैसला आने के बाद बिल्कुल अंतिम चरण में फैसले को बदलने या कम से कम टालने की अपील की जा सकती है। क्योंकि कई मामलों में ऐसा महसूस किया जाता है। जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उसमें सुधार की गुंजाइश बाकी रह जाती है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट से दोषी करार किसी व्यक्ति को फांसी की सज़ा से बचने के लिए उसके पास दो विकल्प होते हैं। दया याचिका और पुनर्विचार याचिका। दया याचिका के तहत राष्ट्रपति के पास गुहार लगाई जाती है। जबकी पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट में ही लगाई जाती है। पर इन दोनों याचिकाओं के खारिज हो जाने के बाद भी दोषी के पास क्यूरेटिव पिटीशन का ऑपशन बचता है। ताज़ा मामला निर्भया केस से जुड़ा हुआ है। विशेष के इस अंक में हम जानेंगे निर्भया मामले में दायर क्योरेटिव पिटीशन को, समझेंगे आखिर क्या होती है क्यूरेटिव पिटीशन, क्या है इसकी प्रक्रिया और क्या है इसका पूरा इतिहास...
Anchor - Vaibhav Raj Shukla
Producer - Rajeev Kumar, Ritu Kumar
Production - Akash Popli
Reporter - Bharat Singh Diwakar
Graphics - Nirdesh, Girish, Mayank
Video Editor - Pitamber Joshi, Azhar Ansari
Social Media - Aparna, Rama Shankar, Purna Chandra Mohapatra