श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 7 श्लोक 2 उच्चारण | Bhagavad Geeta Chapter 7 Verse 2

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Kusum Maru

Kusum Maru

14 күн бұрын

🌹ॐ श्रीपरमात्मने नमः🌹
अथ सप्तमोऽध्यायः
ज्ञानं तेऽहं सविज्ञानमिदं वक्ष्याम्यशेषतः।
यज्ज्ञात्वा नेह भूयोऽन्यज्ज्ञातव्यमवशिष्यते
॥2॥
ज्ञानम्= ज्ञान को, ते=तेरे लिए, अहम्=मैं, सविज्ञानम्=विज्ञान सहित, इदम्=इस, वक्ष्यामि= कहूॅंगा,अशेषतः=सम्पूर्णता से, यत्=जिसको, ज्ञात्वा=जानने के बाद, न=नहीं, इह= इस विषय में, भूयः=फिर, अन्यत्= और कुछ भी, ज्ञातव्यम्=जानने योग्य, अवशिष्यते=शेष रह जाता।
भावार्थ- मैं तेरे लिए इस विज्ञान सहित ज्ञान को संपूर्णता से कहूॅंगा,जिसको जानने के बाद फिर इस विषय में जानने योग्य अन्य कुछ भी शेष नहीं रहेगा।
व्याख्या--
"ज्ञानं तेऽहं सविज्ञानमिदं वक्ष्याम्यशेषतः"-
भगवान् कहते हैं कि अब मैं विज्ञान सहित ज्ञान कहूॅंगा। कैसे कहूॅंगा?
तुम्हें मैं स्वयं कहूॅंगा तथा
संपूर्णता से कहूॅंगा।
स्वयं कौन?
जो समग्र परमात्मा है वह मैं स्वयं। मैं स्वयं मेरे रूप का जैसा वर्णन कर सकता हूँ,वैसा दूसरे नहीं कर सकते क्योंकि वे तो सुनकर अपनी बुद्धि के अनुसार विचार करके ही कहते हैं। मैं विज्ञान सहित ज्ञान को संपूर्णता से कहूॅंगा,शेष नहीं रखूॅंगा अर्थात् तत्त्व से कहूॅंगा।
"यज्ज्ञात्वा नेह भूयोऽन्यज्ज्ञातव्यमवशिष्यते"-
इस लोक में जिसको जानकर जानने के बाद फिर दूसरा कुछ जानना ही चाहिए,ऐसा कुछ बचता ही नहीं है।
भगवान् ने दो विशेषण बतलाए हैं जो बहुत महत्वपूर्ण हैं- एक तो हम जो कुछ भी जानते हैं वह 'समग्रता' से नहीं जानते हैं और 'निःशंकता' से नहीं जानते हैं और जब तक समग्रता और निःशंकता नहीं आती तब तक कोई ज्ञान पूरा नहीं होता है। हम हिमालय के बारे में कुछ कुछ जानते हैं।
क्या समग्रता से जानते हैं?
तो उत्तर होगा नहीं। कहाॅं-कहाॅं क्या-क्या है? लोगों ने अपना जीवन लगा दिया। कैसी-कैसी और कितनी -कितनी कंदराऍं हैं। कई गुफाओं के अंदर आश्रम हैं,आज भी बड़े-बड़े योगी वहाँ बैठे हैं।
शास्त्र की भाषा में हमें हिमालय का सामान्य ज्ञान है,हमें हिमालय का विशेष ज्ञान नहीं है,पूर्ण ज्ञान नहीं है।
भगवान् का ज्ञान सामान्य रूप से होना एक बात है और भगवान् का परिपूर्ण ज्ञान होना दूसरी बात है। यहाँ पर भगवान् यही संकेत कर रहे हैं।
विशेष-
यह "ज्ञान विज्ञान योग" है और ज्ञान विज्ञान योग का वर्णन करते समय भगवान् ने एक प्रतिज्ञा की है-
प्रतिज्ञा यह है कि भगवान् की जिस बात को जानने पर तुम्हें कुछ और जानने की आवश्यकता ही नहीं रहेगी।
भगवान् कहते हैं कि ज्ञान तुम्हारा स्वरूप है।
"मैं स्वयं ज्ञान स्वरूप हूॅं" इसकी अनुभूति लेना। जिन पदार्थों के ज्ञान को मैं ज्ञान मान रहा था वे परिवर्तनशील हैं, सत्य नहीं है- यह समझना।
🌹🍁🌹🍁🌹🍁🌹🍁🌹🙏🌹🙏🌹🍁🌹

Пікірлер: 2
@satishkgoyal
@satishkgoyal 11 күн бұрын
जय श्री कृष्ण।
@bankatlslvaishnav3904
@bankatlslvaishnav3904 13 күн бұрын
जय श्री कृष्ण।।
Please be kind🙏
00:34
ISSEI / いっせい
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Luck Decides My Future Again 🍀🍀🍀 #katebrush #shorts
00:19
Kate Brush
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WHO DO I LOVE MOST?
00:22
dednahype
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,🙏🙏🙏🙏
19:02
Ratijaga Ke Geet v Bhajan
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Please be kind🙏
00:34
ISSEI / いっせい
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